Whatsapp Viral message: मित्रों, लगता सोशल मीडिया आजकल आटा,दाल, पानी, हवा से भी ज़्यादा मूल्यवान हो गया है। फोन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बच्चों से लेकर बुजुर्ग धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं और पूरा रात दिन इसमें लगे रहते हैं। हम और आप भी इस इससे बचे नहीं हैं जनाब। Whatsapp तो हम सबकी लाइफ़लाइन बन गयी है।
सोशल या समाज का दुश्मन
बहुत सारे लोगों का मानना यह है कि नाम तो इसका सोशल मीडिया है लेकिन समाज से तो आदमी बहुत दूर करता ही जा रहा है। अकेले फोन को देखकर आज हर कोई हंसता है, रोता है गाता है गुनगुनाते हैं लेकिन बगल में दो-चार फीट पर बैठे अपने परिवारजन तक से बातचीत कम हो गई है।
मज़े के आगे सब ज्ञान फेल है
लेकिन जनाब इसके मजे भी बहुत हैं। यूं ही नहीं कोई भी माध्यम इतना लोकप्रिय बन जाता है। इन सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से व्हाट्सएप की ख़ास जगह है, जहां पर खासकर के बुजुर्ग बहुत अच्छी तरह से जुड़े हैं और मित्र और परिवारजन एक दूसरे का सुख-दुख इस पर बांटने में लगे हैं।
कौन सा है यह नायाब Whatsapp Viral message ?
आजकल WhatsApp पर एक एक मैसेज बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है और इसका संबंध कूटने कुटाने से है। हों गए ना आप हैरान। इस कविता कहें चांद कहें या गद्य कहें यह तो हम नहीं जानते लेकिन यह मैसेज लोगों का दिल खूब भा रहा है और जो भी से पता है फॉरवर्ड जरुर करता है। चलिए इस मैसेज पर नजर डालें और आनंद ले। इसे पढ़कर आप भी शर्तिया गुज़रे ज़माने की पैरवी करेंगे।
कूटने से बढ़ती है “इम्युनिटी पॉवर”
मैंने काफी बुजुर्ग दादा जी से पूछा
कि पहले लोग इतने बीमार नही होते थे ?
जितने आज हो रहे है ….तो दादा जी बोले
बेटा पहले हम हर चीज को कूटते थे
जबसे हमने कूटना छोड़ा है,
तबसे ही हम सब बीमार होने लग गए है…..
मैंने पूछा :- वो कैसे ?
दादा जी मुस्कुराते हुए
जैसे पहले खेत से अनाज को कूट कर घर लाते थे …
घर में मिर्च मसाला कूटते थे …….
कभी कभी बड़ा भाई
छोटे भाई को कूट देता था …….
और जब छोटा भाई उसकी शिकायत माँ से करता था …..
तो माँ.. बड़े भाई को कूट देती थी ……
और कभी कभी तो दादा जी भी पोते को कूट देते थे ……
यानी कुल मिलाकर कूटने का सिलसिला निरंतर चलता रहता था ……
कभी माँ.. बाजरा कूट कर शाम को खिचड़ी बनाती थी …..
पहले हम कपडे भी कूट कूट कर धोते थे …..
स्कूल में मास्टर जी भी जमकर कूटते थे ….
जहाँ देखो वहां पर
कूटने का काम चलता रहता था …..
जिससे कभी कोई
बीमारी नजदीक नही आती थी ……
सबका इम्युनिटी पॉवर मजबूत बना रहता था …
जब कभी बच्चा सर्दी में नहाने से
मना करता था …..
तो माँ पहले उसे.. कूटकर उसकी इम्युनिटी पॉवर बढ़ाती थी
और फिर नहलाती थी …
जब कभी बच्चा खाना खाने से मना करता था …..
तब भी माँ पहले कूटती थी फिर खाना खिलाती थी …..
स्कूल से शिकायत आती तो पिताजी कूट देते थे
स्कूल जाने में आना कानी की तो मां कूट देती थी
ऐसे ही सबका इम्युनिटी पॉवर कायम रहता था …..
तो कुल मिलाकर सब कुटाई की महिमा है
जो आज कल बंद हो गयी है
जिससे हम सब बीमार ज्यादा रहने लग गए है !
हमें यकीन है इस संदेश को इस को पढ़कर आपको काफी मज़ा आया होगा और और इसने आपके होठों पर हल्की सी मुस्कान ज़रूर ला दी होगी। साधारण से लगने वाला यह छोटा सा संदेश बहुत बहुत बड़ा कड़वा सच छुपा कर लाया है। गुज़रे ज़माने की याद याद तो दिलाता ही है मगर साथ में यह भी याद दिलाता है कि हम बहुत आरामपसंद हो गए हैं।
जीवन में विपरीत परिस्थतियों के ख़िलाफ़ इम्युनिटी बढ़ानी है तो कुटने के लिए तैयार रहें
आजकल के ज़माने में हर कोई कंफर्ट ज्यादा और कष्ट ना के बराबर चाहता है। इसके विपरीत पुराने ज़माने में कुछ पाने के वास्ते बहुत जतन करने पड़ते थे, शारीरिक और मानसिक दोनों। इंसान जब सलीक़े से कूटा जाता था, तपाया जाता था और पिस्ता था तब जाकर मीठा फल मिलता था। जब कड़े परिश्रम और अथक मेहनत से कोई मंज़िल पाता है तो हीरे की तरह चमकता है। जीवन में विपरीत परिस्थतियों के ख़िलाफ़ इम्युनिटी बढ़ानी है तो कुटने के लिए तैयार रहें।
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