Orchha Raja Ram Mandir Story: अयोध्या के राम मंदिर के मुद्दे और भाजपा की सत्ता के राजनैतिक संबंध के बीच हम आज आपको यहां अपने इस लेख में बताएंगे कि मध्य प्रदेश के शहर ग्वालियर के पास ओरछा एक ऐसा शहर है जहां भगवान राम राजा के रूप में पूजे जाते हैं।
भगवान वहां बाद में पहले राम राजा कहलाते हैं। लिहाज़ा यहां मुस्लिम भी भगवान राम की अरदास करते हैं।इस मंदिर के बारे में आप अहम जानकारी पाकर भगवान राम के आध्यात्मिक महत्व को और बेहतर ढंग से समझ सकेंगे।
भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर जहां राजा के रूप में पूजे जाते हैं श्री राम
भगवान श्रीराम का ओरछा में 400 वर्ष पूर्व रामराजा मंदिर में राज्याभिषेक हुआ था और उसके बाद से आज तक यहां भगवान श्रीराम को राजा के रूप में ही पूजा जाता है।
समूची दुनिया का पहला मंदिर जहां राम हैं राजा
यह पूरी दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान राम की राजा के रूप में पूजा होती है। अयोध्या के रामलला के साथ साथ ओरछा के रामराजा भी आजकल हमेशा चर्चा में रहते हैं। अयोध्या से मध्य प्रदेश के ओरछा की दूरी तकरीबन साढ़े चार सौ किलोमीटर है, लेकिन इन दोनों ही जगहों के बीच गहरा संबंध है।
यहां की धड़कन भी राजा राम हैं
जिस तरह अयोध्या में ‘राम नाम’ की गूंज हर समय व हर चीज में गूंजती है, वैसे ही ओरछा की धड़कन में भी राम विराजमान हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी व अहम विशेषता है कि यहां हिंदूओं के साथ मुसलमान भी राजा राम की आराधना करते हैं। बता दें कि अयोध्या और ओरछा का करीब 650 साल पुराना रिश्ता है।
बड़ा अनूठा है इतिहास – Orchha Raja Ram Mandir History
इस मंदिर का इतिहास बहुत ही निराला है। कैसे 16वीं शताब्दी में वहाँ के राजा और रानी में विवाद हुआ और कैसे बना यह मंदिर, आइए विस्तार से जानते हैं।
जब राजा और रानी में ठन गई थी
16वीं शताब्दी में ओरछा के बुंदेला शासक मधुकर शाह की महारानी कुंवरि गणेश अयोध्या से रामलला को ओरछा ले आई थीं। ओरछा के शासक मधुकर शाह कृष्ण भक्त थे जबकि उनकी महारानी राम उपासक थीं। इस बात को लेकर हमेशा दोनों में विवाद की स्थिति रहती थी।
क्यों राजा मधुकर शाह ने अपनी रानी को दे चुनौती
एक बार मधुकर शाह ने रानी को वृंदावन जाने का प्रस्ताव दिया लेकिन उन्होंने मना कर दिया और अयोध्या जाने की ज़िद पकड़ ली। तब राजा ने रानी पर व्यंग्य किया कि अगर तुम्हारे राम सच में हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा लाकर दिखाओ।
रानी ने भी बात को बहुत गंभीरता से ले लिया
इस बात को रानी ने इतनी गंभीरता से ले लिया कि वह अपने आराध्य राम को लाने सन् 1573 के आषाढ़ माह में अयोध्या के लिए निकल पड़ीं। श्रीराम की प्रतिमा को लेकर रानी गणेश कुंवरि साधु-संतों और महिलाओं के बड़े जत्थे के साथ अयोध्या से ओरछा की यात्रा पर निकल पड़ीं।
महीनों बाद क्या हुआ
साढ़े आठ माह में प्रण पूरा करके रानी सन् 1574 की रामनवमी को ओरछा पहुंचीं। यह सब देखकर राजा बेहद आश्चर्यचकित हो गए। महारानी कुंवरि गणेश ने ही श्रीराम को अयोध्या से ओरछा लाकर विराजित किया था। उनके लिए यह विशाल मंदिर बनाया गया परंतु कहते हैं कि उन्हें सुरक्षा कारणों से मंदिर की बजाए रसोई में विराजमान किया गया। इसके पीछे तर्क था कि माना जाता था कि रजवाड़ों की महिलाओं की रसोई से अधिक सुरक्षा और कहीं नहीं हो सकती।
मुस्लिम भी पूजा करते हैं
ओरछा में राम हिन्दुओं के अलावा मुसलमानों के भी आराध्य हैं।ओरछा के बहुत से मुस्लिम निवासी यहाँ रोज़ दरबार में सजदा करते नज़र आटें हैं। उनका मानना है हमारे तो सब यही राम हैं। ओरछा के मुसलमान राम को उतना ही मानते हैं जितना रहीम को। वह कहते हैं कि आपसी भाईचारा ऐसा ही रहे, जैसा ओरछा के राम राजा दरबार में है। यही तो ओरछा के राम की गंगा-जमुनी तहजीब है।
यहाँ विराजे राम को सिर्फ़ सच्ची शद्धा चाहिए है
ओरछा के राम श्रद्धा चाहते हैं इसलिए उन्होंने विशाल चतुर्भुज मंदिर त्याग कर वात्सल्य भक्ति की प्रतिमूर्ति महारानी कुंवरि गणेश की रसोई में बैठना स्वीकार किया था। राम भक्तों के भावों में बसते हैं, भवनों की भव्यता में नहीं।
राम भगवान को दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर
रामराजा मंदिर की एक और खासियत है कि एक राजा के रूप में विराजने की वजह से राम भगवान को 4 बार की आरती में सशस्त्र सलामी यानी ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया जाता है।
ओरछा घूमने का सबसे बढ़िया समय
ओरछा घूमने का सबसे अच्छा मौसम सर्दियों का है। तापमान आरामदायक रहता है और ओरछा के दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए उपयुक्त है। यह मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले का एक शहर है। यह स्थान मंदिरों, महलों, स्मारकों, किलों और बहुत कुछ के लिए प्रसिद्ध है। ओरछा के स्मारक आंतरिक कार्य के साथ-साथ वास्तुकला की प्राचीन ऐतिहासिक शैलियों के लिए भी देखने योग्य हैं।
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