Why Sunny Deol Can’t Read Scripts: ग़दर 2 के हिट होने के बाद सनी देओल ख़ूब सुर्खियों में हैं। इतनी बड़ी हिट देने के बाद भी सनी देओल उतने ही विनम्र नज़र आते हैं जितने वह शायद पहली फिल्म बेताब में नजर आते थे। इसी विनम्र स्वभाव के चलते उन्होंने इंडिया टीवी के प्रोग्राम आप की अदालत में इस बात का खुलासा किया कि वह अपनी स्क्रिप्ट कभी पढ़ नहीं पाते ना ही डायलॉग। सनी देओल ने किया अपनी गंभीर बीमारी का ज़िक्र।
सनी के ढाई किलो के हाँथ से ज़्यादा ताकतवर है कुछ और
सनी देओल का ढाई किलो का हाँथ और हैंड पम्प उखाड़ने वाली शक्ति तो सबने देखी है लेकिन इसमें कोई अतिशयोक्ती नहीं हूगो अगर हम आपसे से कहीं की सनी की असली शक्ति शारीरिक शक्ति नहीं बल्कि उनका मानसिक बल और आत्मविश्वास है। दरअसल सनी देओल ने खुलासा किया अपनी बचपन की उस बीमारी का, जिसके रहते वह पढ़ नहीं पाते हैं और ना ही स्पेलिंग को पहचान पाते हैं।
लेकिन अगर इरादे मज़बूत हों तो इंसान क्या नहीं कर सकता, इसका परिचय सनी देओल ने अपनी फिल्मी करियर के दौरान दिया है। सनी देओल ने बताया कि इस बीमारी के बावजूद वह बॉलीवुड में काम करते रहे हैं और अपनी संकलप शक्ति से दशकों से अपने अभिनय का लोहा मनवाते आयें हैं।
सनी देओल क्यों स्क्रिप्ट और संवाद पढ़ने में असमर्थ हैं – Why Sunny Deol can’t read scripts due to dyslexia
सनी देओल ने बताया है कि वो कभी अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट और डायलॉग नहीं पढ़ते हैं। इसकी वजह ये है कि वो डिस्लेक्सिया बीमारी से पीड़ित हैं (Sunny Deol suffers from dyslexia)। इस बीमारी की वजह से उनको पढ़ने में बहुत दिक्कत होती है। टीवी कार्यक्रम में अपने डिस्लेक्सिक होने पर बात करते हुए सनी ने कहा कि मैंने कभी कोई स्क्रिप्ट नहीं पढ़ी क्योंकि मैं ठीक से पढ़ नहीं पाता।
सनी ने आगे बताया कि वह अपने डायलॉग भी नहीं पढ़ पाते हैं बस उन्हें महसूस करते हैं और ऐसे ही इन डायलॉग को फील करके जब शूटिंग का टाइम होता है तो उसे स्क्रीन पर अभिव्यक्त कर पाते हैं। जब कोई डायरेक्टर उन्हें स्क्रिप्ट देता है तो सनी इस स्क्रिप्ट को पढ़ने की बजाय सुनते हैं (Sunny Deol can’t read scripts due to dyslexia) ।
हाल ही में किया था अपनी बीमारी का खुलासा
हाल ही में, सनी देओल ने इस बात का भी खुलासा किया कि वह बचपन में डिस्लेक्सिक छात्र थे। इस बीमारी की वजह से वह पढ़ाई में कमजोर थे और अक्सर उनकी स्कूल में पिटाई होती थी। सनी देओल का कहना है कि आज भी सार्वजनिक सभाओं इत्यादि में वह टेलीप्रोम्टर से पढ़कर नहीं बोल सकते ना ही किसी फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ने में समर्थ है।
डिस्लेक्सिया होने के बाद भी याद कर लेतें हैं लंबे लंबे संवाद
कमाल की बात यह है कि सनी देओल की डिस्लेक्सिया की बीमारी होते हुए भी वह अपनी फिल्मों में बड़े-बड़े डायलॉग बोलने के लिए ही मशहूर है। इतने लंबे-लंबे डायलॉग वह किस तरह से याद रखते हैं यह तो शनि को शायद भगवान की देन है या उनका हुनर है। आपको दामिनी फिल्म में उनके वकील का किरदार तो याद होगा ही जिसमें उन्होंने बहुत ही लंबे-लंबे संवाद बोले हैं और बहुत सहजता से बोले हैं। उनकी अदायगी से कोई यह पता नहीं लग सकता कि वह स्क्रिप्ट पढ़ने और डायलॉग पढ़ने में असमर्थ है (Sunny Deol can’t read scripts due to dyslexia)।
आखिर डिस्लेक्सिया क्या है? – What is Dyslexia
डिस्लेक्सिया एक ऐसी अनोखी बीमारी है, जिसमें किसी बच्चे को छोटी उम्र से ही पढ़ने, लिखने और वर्तनी (spelling) समझने में दिक्कत होती है। यही नहीं, इस बीमारी से पीड़ित बच्चे सीधे अक्षर को उल्टा लिखना शुरू कर देते हैं। यह एक तरह की लर्निंग डिसेबिलिटी है।
कई दिग्गजों ने इस बीमारी पर विजय प्राप्त की और कर डाला कुछ अनूठा
कमाल की बात यह है कि बहुत ही दिग्गज वैज्ञानिकों और कलाकारों को यह बीमारी रह चुकी है। Dyslexia बीमारी से पीड़ित लोगो में ऐपल कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स, महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन, प्रसिद्ध पेंटर लियोनार्दो डा विंची, बल्ब का आविष्कार करने वाले थॉमस अल्वा एडिसन, प्रतिभाशाली पेंटर पाब्लो पिकासो भी शामिल हैं। आयुष्मान खुराना, ऋतिक रोशन, अभिषेक बच्चन और हॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता टॉम क्रूज तक डिस्लेक्सिया बीमारी से पीड़ित होने वाले लोगों में शामिल हैं।
आपका और हमारा फ़र्ज़ क्या बनता है
आपको आमिर खान और दर्शील सफारी की हिट फिल्म ‘तारे ज़मीन पर’ जरूर याद होगी, जिसमें मुख्य किरदार ईशान भी डिस्लेक्सिया नाम की बीमारी से पीड़ित था। इस वजह से उसे पढ़ने लिखने में काफी तक्लीफ़ होती थी जो कि उसके माता-पिता भी नहीं समझ पाए। डिस्लेक्सिया बीमारी से पीड़ित लोग अक्सर अपनी किसीऔर इंद्री को इतना मज़बूत कर लेते हैं कि वह अपनी इस कमी को के ऊपर विजय प्राप्त कर लेते हैं।
लेकिन ऐसी भी बहुत से पीड़ित छात्र हैं जो इस बीमारी से रोज़ झूँझते हैं और संघर्ष करते हैं। समाज को ऐसे बच्चों के लिए ज़रूर कुछ ऐसा करना चाहिए जिसके रहते उन्हें आगे बढ़ने के लिए समान अवसर प्राप्त हो सकें।
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