Rare Elephant Spa In India

Unique Elephant Spa in India: जानवरों और इंसानों की दोस्ती की बात करें तो भारत विश्व भर में प्रसिद्ध है। दरअसल भारत में जानवरों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है और यह संस्कृति और जीवन शैली का एक हिस्सा है। भारतीय जानवरों को अक्सर अपने बराबर का सम्मान देते हैं और कभी-कभी तो वह इंसानों से भी बेहतर व्यवहार जानवरों के साथ करते हैं। 

श्री गणेश और श्री हनुमान को ही देख लें तो इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है  कि भारतीय पशु पक्षियों को भगवान का दर्जा भी देते हैं। ऐसी ही एक जगह है भारत के दक्षिणी भाग में स्थित केरल राज्य में, जहां एक खास जगह है जहां हाथियों के साथ राजपरिवार जैसा व्यवहार किया जाता है।पुन्नथुर कोट्टा एलिफेंट यार्ड  हाथियों की स्पा (Unique Elephant Spa in India) के नाम से भी पसिद्ध है।

 

हाँथियों का है अनूठा शाही अन्दाज़ 

यहाँ हाथी एकदम राजा महाराज की जैसे शाही अंदाज से जीते हैं। यह सिर्फ कहने की बात नहीं है, यहां पर हाथी सचमुच बहुत ही शानदार अन्दाज़ से अपने दिन बिताते हैं। केरल की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में हाथियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शायद इसी लिए उनके सम्मान में इस जगह को तैयार किया गया है।  

हाथी तो नियम से स्पा जाते हैं, क्या आप कभी स्पा गए हैं? 

punnathur kotta thrissur Elephant Spa भारत में है यह विश्व का अनोखा 'एलीफैंट स्पा'
Punnathur Kotta Elephant Yard: Rare Elephant Spa in India

हम में से कितने मनुष्य अपने जीवन में स्पा मज़ा ले पाते हैं। शायद कुछ इक्के दुक्के किस्मत वाले ही ऐसे होंगे जो किसी सलून में जाकर नियमित रूप से स्पा का मजा लेते हों और अपना कायाकल्प उपचार करवा पाते हों। लेकिन आप शायद चौंक जायें अगर हम आपसे कहें कि दक्षिण भारत में हाथियों को भी हर साल स्पा उपचार मिलता है (Rare Elephant Spa in India)? यहां जाकर हर किसी के मन में आता है जीवन में आनंद हो तो हाथियों जैसा।  प्रभु अगले जन्म मोहे हाथी ही बनाइयो!!

हाथियों की जन्नत से कम नहीं 

केरल के गुरुवायुर में पुन्नथुर कोट्टा एलिफेंट यार्ड नामक एक विशेष सुविधा इन अद्भुत जानवरों के लिए उपचार की एक श्रृंखला प्रदान करती है। कल्याण और लाड़-प्यार के नाम पर, यहां दर्जनों हाथियों को मालिश, बॉडी स्क्रब और पौष्टिक भोजन का लाभ उठाने का मौका दिया जाता है।

भला ‘हाथी स्पा डे’ (Elephant Spa Day) क्यों नहीं मनाया जा सकता? 

यह हाथी सैंक्चुअरी, जिसे “अनाकोट्टा” के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अनुवाद “हाथी किला” होता है, पहले एक महल था। इस अनाकोट्टा में 60 हाथी तक रह सकते हैं। जब हम इंसान फादर्स डे, मदर्स डे, फ्रेंडशिप डे, फलाना ढिकाना डे मना सकते हैं, तो भला हाथी अपना ‘हाथी स्पा डे’ क्यों नहीं मना सकते? 

लाड़ प्यार, सम्मान और लक्ज़री उपचार 

हर साल जुलाई में, इन हाथियों को पुन्नाथूर कोट्टा हाथी यार्ड में गुरुवायुरप्पन हिंदू मंदिर के पीछे यह विशेष लक्ज़री उपचार मिलता है। यह सैंक्चुअरी, जो गुरुवायूर मंदिर से जुड़ी है, हाथियों के लिए ‘सुखा चिकित्सा’ या हाथी आयुर्वेद उपचार प्रदान करती है। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, अद्वितीय उपचारों में शांति और आराम प्रदान करने वाली मालिशें, भव्य स्क्रब स्नान, सावधानीपूर्वक चुना गया आहार और हर्बल उपचार शामिल हैं जो हाथियों को फिर से जीवंत करते हैं और उन्हें अच्छे स्वास्थ्य में रखने में मदद करते हैं।पुन्नाथूर कोट्टा स्थित एलीफैंट स्पा (Rare Elephant Spa) in Indiaवाक़ई एक अनूठा प्रयोग है।

विलन को नो एंट्री  

‘चल चल चल मेरे हाथी, ओ मेरे साथी’ इस गीत की याद आ जाती है यहां आ कर। जैसे कि ‘हाथी मेरा साथी’ फिल्म में हाथी भी हीरो से कम नहीं था, यहां पर भी हाथी हीरो की जिंदगी जीते हैं, चाहे कुछ पल के लिए ही सही। लेकिन दोस्तों हाथियों में भी विलन हाथी भी होते ही हैं। इसलिए शिविर सभी हाथियों के लिए खुला नहीं है। जो थोड़े खलनायक प्रवृत्ति के हाथी होते हैं उन्हें यहां से दूर ही रखा जाता है।

जिन हाथियों को वश में करना कठिन होता है या जो अनियंत्रित माने जाते हैं, उन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं है। क्योंकि यदि उन्हें अत्यधिक ध्यान दिया जाए या लाड़-प्यार दिया जाए तो वे अन्य हाथियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।यह विलन हाथियों के साथ थोड़ी सी नाइंसाफी जरूर है लेकिन शांति प्रिय हाथियों के लिए अच्छी खबर है। 

भाग्यशाली हाथी किसी सुपरस्टार से कम नहीं 

हाथियों के एक भाग्यशाली समूह को इस स्पा में एक दिन के लाड़-प्यार के दौरान आनंद लेने और आराम करने का मौका मिलता है। गुरुवायुरप्पन हिंदू मंदिर में, अधिकांश जुलूसों में शामिल हाथियों को पूरे दिन विलासिता में रहने के लिए चुना जाता है। शायद हाथी लोग आपस में बात करते होंगे तो बोलते होंगे यार आज तो तेरा यार भी सुपरस्टार बन गया।

हो सकता उस इलाक़े के बाक़ी और पालतू और जंगली जानवर हाथियों से ईर्ष्या भी करते हों, स्वाभाविक है। लेकिन हाथियों के लिए कम से कम कुछ तो किया गया सरकार और स्थानीय नागरिकों द्वारा। केरल सरकार और स्थानीय लोग यह सुनिश्चित करने में मदद कर रहे हैं कि हाथी स्वस्थ रहें, खुश रहें और आने वाले कई वर्षों तक यूँ ही यह राजसी जानवर इस  क्षेत्र की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहें। 

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