Frank Hayes-Jockey who won race after he died

Frank Hayes Story: एक समय ऐसा था जब इंग्लैंड में Horse Racing (घुड़दौड़) काफी लोकप्रिय खेल था। यह खेल काफी रोमांचक होता है और केवल हिम्मत वाले ही इसे खेल सकते हैं। इस खेल को खेलने वाले घुड़सवार यानी की जॉकी बहुत दिलेर होतें हैं। हालाँकि, जॉकी बनना हर किसी के बस की बात नहीं थी। कभी-कभी यह इतना कठिन होता था कि आपको दौड़ जीतने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती थी। 

ऐसे ही एक जॉकी थे फ्रैंक हेस (Frank Hayes Horse Trainer), जिन्होंने अमेरिका के न्यूयॉर्क में बेलमोंट पार्ट में दो मील की प्रतियोगिता के अंत में घातक दिल का दौरा पड़ने के बावजूद घुड़दौड़ प्रतियोगिता जीत ली।यह घटना कोई मामूली घटना नहीं है, पढ़ें और जाने। 

फ्रैंक हेस (Frank Hayes Jockey) कभी भी इस प्रतियोगिता को नहीं जीते थे 

यह घटना 1923 में घटी थी। फ्रैंक हेस हमेशा से रेस को जीतना चाहते थे लेकिन उनकी मनोकामना कभी पूरी नहीं हुई थी। हर अच्छे खिलाड़ी की तरह उन में स्पोर्ट्समैन स्पिरिट कूट-कूट कर भरी थी और हमेशा की तरह उन्होंने अपना हौंसला नहीं खोया था। फ्रैंक हेस जोश से भरे हुए थे और एक बार फिर तैयार थे रेस में भाग लेने के लिए।दर्शकों को उनसे जोई उम्मीद नहीं थी। लेकिन हेस तो दीवाने थे। 

इस रेस में फ्रैंक हेस (Frank Hayes) के लिए सब कुछ पहले जैसा था भरोसा उम्मीदखुद पर भरोसा जीतने की उम्मीद, हर्षोल्लास लेकिन एक चीज़ नई थी। यह नई चीज़ थी रेस में उनका नया साथी, उनका घोड़ा  ‘स्वीट किस’ (Sweet Kiss)। यह स्वीट किस की पहली दौड़ थी। क़िस्मत में क्या लिखा था ना तो फ्रैंक हेस, को पता था , ना स्वीट किस को ना ही खेल के प्रशंसकों को।

रेस की यूँ हुई शुरुआत 

4 जून, 1923 ke उस यादगार दिन रेस बस शुरू ही होने वाली थी। किसी को भी फ्रैंक हेस से कोई उम्मीद नहीं थी और जहां तक सवाल उठता है स्वीट किस का, वह तो बिल्कुल नया घोड़ा था, उससे कोई उम्मीद कर भी कैसे सकता था। फ्रैंक हमेशा की तरह तैयार थे, रेस को जीत लेने का जज़्बा लिए। रेस के शुरू होने के कुछ देर बाद कुछ अनहोनी सी बात हुई। बड़े बड़े दिग्गज पीछे थे और फ्रैंक हेस और स्वीट किस ने ज़बर्दस्त बढ़त बना ली। सब आश्चर्यचकित थे। बहुत से लोग हेस की संभावित जीत से उत्साहित थे। 

रेस के मध्य में कुछ अजीब सा हुआ 

लगभग रेस के मध्य में दर्शकों ने देखा कि फ्रैंक हेस कुछ झुक से गए हैं और बड़ी अलग मुद्रा में घुड़सवारी कर रहे हैं। क्योंकि यह घुड़सवार अव्वल नंबर पर था, उत्तेजित दर्शकगण उसकी इस अजीब मुद्रा की जगह उसकी जीत की तरफ ज़्यादा ध्यान दे रहे थे। हेस के प्रशंसक तो जैसे पागल ही हुए जा रहे थे। जो लोग दूसरे घुड़सवारों की हौसला अफ़ज़ाई के लिए आए थे वह भी अब फ्रैंक हेस की चमत्कारी घुड़सवारी को देख उनका समर्थन करने लगे। 

घुड़सवार बुत्त बना बैठा था और घोड़ा दौड़ता रहा  

Frank Hayes with Sweet Kiss horse Frank Hayes Story: फ्रैंक हेस जॉकी जिसने मृत होने के बावजूद रेस जीती

हालाँकि, घुड़सवार एक पत्थर की मूरत के जैसा बैठा था और उसका शरीर बिना किसी हरकत के काठी में बरकरार था। घोड़े पटरियों पर दौड़ते रहे। स्वीट किस बाड़ कूद कर पड़ाव पार करता रहा। कोई भी 20-1 के बाहरी खिलाड़ी स्वीट किस की बराबरी नहीं कर सका जो दौड़ में आश्चर्यजनक विजेता था। दर्शकों को हैरानी भी थी और उत्साह भी था। 

फिर हुई ऐसी अनहोनी जो कोई सोच भी नहीं सकता 

इस शानदार जीत के बाद जब ट्रैक अधिकारी जॉकी फ्रैंक हेस और उनके चैंपियन घोड़े, स्वीट किस का स्वागत करने आए, हेस घोड़े से फिसलकर मिट्टी में गिर गए। रिपोर्टों में कहा गया है कि ट्रैक डॉक्टर जॉन वूरहिस, हेस की जांच करने के लिए दौड़े लेकिन उन्हें ‘तुरंत’ मृत घोषित कर दिया। डॉक्टर के अनुसार, जॉकी हेस की उम्र 23 से 35 के बीच थी और उन्हें  उसे बीच रेस में ही दिल का दौरा पड़ा।

हेस की मृत्यु आज भी है रहस्य (Mystery behind Frank Hayes death)

हेस की दौड़ के दौरान किसी समय मृत्यु हो गई थी, सबसे अधिक संभावना दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, फिर भी उसका शरीर सभी छलांगों के दौरान किसी तरह काठी में ही पड़ा रहा। लेकिन जब घोड़े ने रेस जीत ली, तो लोग उस समय सदमे में रह गए जब उन्होंने हेस के शरीर को काठी से गिरते देखा।

हालाँकि, दिल का दौरा वास्तव में किस कारण से पड़ा यह अभी भी काफी रहस्य है। मौत की कई वजह बताई गईं लेकिन कोई भी वजह पूर्ण रोप से सत्य मानी नहीं जा सकीं। 

एक सिद्धांत यह था कि दौड़ से पहले उसके वजन में अत्यधिक कटौती के कारण ऐसा हुआ होगा। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वजन कम होना केवल एक सहायक कारक था और पैक में सवारी करने का उनका उत्साह अंततः उनके निधन का कारण बना।

फ्रैंक हेस (Frank Hayes) अपनी पहली और एकमात्र जीत का जश्न नहीं मना पाए 

बेचारे हेस को तकनीकी रूप से कभी भी अपनी पहली और एकमात्र जीत का जश्न मनाने का मौका नहीं मिला क्योंकि जब तक उन्होंने रेस जीती तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी।

CNN की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हेस जिस घोड़े पर सवार थे, वह स्वीट किस फिर कभी नहीं दौड़ा। घोड़े की पूर्वसंध्या को नाम मिला – “स्वीट किस ऑफ़ डेथ”।

गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हैं फ्रैंक हेस 

हेस की उपलब्धि ने उन्हें ‘अपनी मृत्यु के बाद जीत हासिल करने वाले एकमात्र जॉकी’ होने के लिए गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह दिलाई। इसमें कहा गया है, “उनकी अचानक मृत्यु के बावजूद, हेस किसी तरह 20-1 लंबे शॉट के लिए काफी देर तक काठी में बने रहे और अंतिम बाड़ को कूदकर पहले स्थान पर फिनिश लाइन को पार कर गए।” उनकी मृत्यु के एक सप्ताह बाद, हेस (Frank Hayes) को उन्हीं राइडिंग सिल्क्स में ही दफनाया गया, जो उन्होंने अपनी पहली जीत के दौरान पहने थे।

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