What happened when Nehru stopped Plane for Sunil Dutt: अभिनेता सुनील दत्त जितना अपने अभिनय के लिए जाने जाते हैं उतना ही समाज सेवा और देश भक्ति के लिए। युद्धों के दौरान उन्होंने सैनिकों के मनोरंजन के लिए अजंता आर्ट्स कल्चरल ट्रूप को संगठित करना इसी दिशा में एक कदम था। इसी सिलसिले में कैसे उनकी भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से मुलाक़ात हुई और क्यों नेहरू ने एक दफ़ा उनके लिए एयरपोर्ट पर फ्लाइट रुकवा दी। आइये इस दिलचस्प क़िस्से का आनंद लें।
सुनील दत्त को हम एक अभिनेता के रूप में तो जानते हैं लेकिन वह एक सच्चे देशभक्त और समाज सेवक भी थे। बात है 1962 और 1971 के युद्धों के दौरान की जब उन्होंने अजंता आर्ट ट्रस्ट की शुरुआत की, एक मंडली जो लद्दाख से चटगाँव तक यात्रा करती थी और सशस्त्र बलों का मनोरंजन करती थी।
सुनील दत्त (Sunil Dutt) की अनूठी पहल अजंता आर्ट्स कल्चरल ट्रूप
सुनील दत्त (Sunil Dutt) ने इस अनोखी समाज सेवा की पहल के रूप में एक ट्रूप बनाया था Ajanta Arts Cultural Troupe, जो फौजियों के लिए प्रोग्राम किया करता था। उनके इस ट्रूप को बहुत ख्याति भी मिली और सम्मान भी। हालाँकि सुनील दत्त का मक़सद केवल फ़ौजियों के लिए सच्ची सेवा था और वह किसी भी तरह के अनावश्यक प्रचार से बचते थे, यह बात दिल्ली तक पहुँची।
लद्दाख का दौरा और नेहरू (Nehru) तक पहुँची बात
जब सुनील दत्त (Sunil Dutt)अपने ग्रुप के साथ लद्दाख में फौजी भाइयों का मनोरंजन करने गए तो इस बात की ख़बर तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को लगी। नेहरू ने सुनील दत्त (Sunil Dutt) को एक ख़ास संदेश भेजा कि जब भी उनकी टीम दिल्ली आये तो नेहरू जी से जरूर भेंट करे।
प्रधानमंत्री से मुलाक़ात का वक़्त हुआ तय लेकिन
प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू इसके बाद सुनील दत्त और उनकी टीम का प्रोग्राम वापसी में दिल्ली होकर आने का तय भी हो गया।तारीख़, समय सब निश्चित हो गया। आख़िर अजंता आर्ट्स की टीम किसी मामूली व्यक्ति से नहीं बल्कि पंडित नेहरू से मिलने वाली थी। लेकिन क़िस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। कहते हैं कि वक्त से पहले, और क़िस्मत से ज्यादा कुछ नहीं मिलता।
सुनील दत्त (Sunil Dutt) और उनकी टीम काफ़ी उत्साहित तह कि पंडित नेहरू से मिलेंगे, लेकर उसी वक्त लद्दाख में भारी हिमपात होने लगी। इतनी बर्फ़ गिरी की 3 दिन तक सारे रास्ते बंद हो ज़ाहिर सी बात है कि सुनील दत्त और उनके अजंता आर्ट्स के ट्रूप को के पास दिल्ली जाने का कोई रास्ता ना था। शायद ऐसा भी लगा हो कि शायद यह महत्वपूर्ण मौका इस टीम ने खो दिया।
फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी नहीं कर सकते परिकल्पना
रास्ता खुलने के बाद सुनील दत्त (Sunil Dutt) की टीम दिल्ली पहुँची। अजंता आर्ट्स की टीम जब दिल्ली पहुंची तो टीम को लगा की अब पंडित नेहरू के पास मिलने का वक्त नहीं होगा, आख़िर वह प्रधान मंत्री हैं। जो वक्त था तय किया हुआ थे वह तो कब का निकल चूका है। ना जाने सुनील दौत को क्या सूझी उन्होंने ने नेहरू जी तक पैगाम पहुंचा दिया कि उनकी टीम दिल्ली आ गयी है। फिर ऐसा हुआ जिसकी परिकल्पना ना तो सुनील दत्त ने की थी ना ही उनकी टीम ने। पंडित नेहरू तो जब सुनील दत्त का पैग़ाम मिला तो उन्होंने फौरन उसी दिन शाम का वक्त दे दिया।
आख़िर नेहरू जी हुई मुलाक़ात
शाम को एक नया वक्त तय किया गया और उसके अनुसार अजंता ट्रूप की पूरी टीम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मिलने पहुँच गई। तय वक्त के हिसाब से प्रधानमंत्री से मुलाकात हुई और लद्दाख के बारे में नेहरू जी काफ़ी बातें पूछने लगे। बातों का सिलसिला चलता गया, कि किस तरह का प्रोग्राम दिया गया और किसने क्या क्या किया। यहाँ तक कि यह तक विस्तार से पूछा गया कि कौन कौन से गीत गाए इत्यादि। नेहरू जी ने पूरी टीम की बातों में गहरी रुचि दिखाई और देर तक बातचीत होती रही।
सुनील दत्त (Sunil Dutt) के छेड़े की परेशानी नेहरू ने पढ़ ली
जब बातचीत कुछ ज्यादा ही लंबी खींच गई तो सुनील दत्त ने अपनी घड़ी देखी और कुछ परेशान से हो गए।प्रधानमंत्री ने सुनील दत्त के चेहरे पर परेशानी भाँप ली। प्रधानमंत्री नेहरू ने उनको परेशान देखकर वजह जाननी चाही तो सुनील दत्त ने बताया कि उस शाम की फ्लाइट से उन लोगों को मुंबई रवाना होना था लेकिन नेहरू से बातचीत में वक्त का पता ही नहीं चला। सुनील ने यह भी कहा कि अब फ्लाइट छूटने का डर है। यह बात सुनकर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने एयरपोर्ट पर इत्तला पहुंचाई की फ्लाइट रोक दी जाए। और हुआ भी ऐसा ही। जब सुनील दत्त की टीम एयरपोर्ट पहुँची तब जाकर फ्लाइट रवाना हुई।
पुराना वक़्त था सुहाना
यह बात उस दौर की थी जब जीवन बड़ा सरल था, कला और कलाकारों की बहुत इज्जत हुआ करती थी। प्रधानमंत्री तक के पास इतना वक्त हुआ करता था कि कलाकारों का अभिनंदन करें और प्रोत्साहित करें। टेक्नोलॉजी भी इतनी सरल थी कि किसी फ्लाइट को रोक दिया जाए। आज के दौर में हमारे पास ठीक से अपना चेहरा आईने में देखने तक का वक्त नहीं है। कई बार मन सोचने पर मजबूर हो जाता है कि हम इंसान अपने जीवन और दिनचर्या को इतना कठिन और संघर्षपूर्ण क्यों बनाते जा रहे हैं। ख़ैर हर दौर की अपनी सीमाएँ और मजबूरियाँ होती हैं, और गुज़रा हुआ ज़माने गुज़र जाने के बाद सुहाना ही लगता है।
Follow us on Facebook for more such untold mysterious death of Sunil Dutt Facts.