Actor Dev Anand Dharmendra First meeting: 60 के दशक के शुरुआती दौर में धर्मेंद्र जब पंजाब से बंबई हीरो बनने आए तो उन्हें यूं ही रातों रात कामयाबी नहीं मिल गई। काफी ज्यादा जहाज के बाद उन्हें1960 में दिल भी तेरा हम भी तेरा नाम की एक फिल्म मिली थी जो ना तो कुछ खास चली ना ही धर्मेंद्र पर किसी की नज़र पड़ी। दरअसल उस समय हिंदी फिल्मी दुनिया में देव आनन्द, दिलीप कुमार और राज कपूर की तिकड़ी राज कर रही थी। धर्मेंद्र ने भी तीनों को ही अपना आदर्श मानते हुए फिल्मी हीरो बनने के लिए अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने की कोशिश की। उसी दौर में कब और कैसे देव आनन्द साहब की नज़र धर्मेंद्र पर पड़ी और कैसे उस एक मुलाक़ात का धर्मेंद्र पर जीवन भर असर रहा, इसी पर चर्चा करेंगे।
फिल्म फेयर कॉन्टेस्ट की वज़ह मुंबई आए
धर्मेंद्र फिल्म फेयर कॉन्टेस्ट के दौरान अपने पंजाब साहनेवाल से मुंबई आए और उन्होंने फिल्मफेयर कॉन्टेस्ट जीतकर अपने संघर्ष के दिन शुरू किए। मुंबई जो उन दिनों में बंबई थ, वहां ना जाने कितने सैकड़ो अभिनेता रोज़ यह ख्वाहिश लिए संघर्ष किया करते कि एक दिन सुनहले पर्दे पर दिखेंगे और छा जाएँगे। इसी दौर में धर्मेंद्र भी अपनी स्मार्टनेस को पेश करते हुए हीरो के सिलेक्शन की लंबी लाइनों में खड़े भी होने लगे।
जब लाइन में लगे धर्मेंद्र से खुद आकर मिले देव आनंद
फ़िल्मों के हीरो बनने के संघर्ष के दौरान अपने कॉस्ट्यूम की लाइन में एक बार धर्मेंद्र खड़े थे, तभी उस ज़माने के लोकप्रिय अभिनेता देव आनन्द, धर्मेंद्र के पास आए और धर्मेंद्र के कंधे पर हाथ रखकर कहा कि तुम तो बहुत अच्छे हो और स्मार्ट हो, शर्मीले हो, तुम्हें काम जरूर मिलेगा। तुम जरूर हीरो बनोगे, हिम्मत मत हारो। इसी मुलाकात के दौरान देव आनन्द धर्मेंद्र को अपने साथ ले गए और लंच भी साथ कराया। आइए और विस्तार से जाने।
धर्मेंद्र को अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हुआ
उस वक्त धर्मेंद्र को खुद पर यकीन नहीं हो पा रहा था कि उनके साथ जो हो रहा है वो सपना है या वास्तव में कोई सच्चाई। धर्मेंद्र ने बताया कि जब स्क्रीन टेस्ट के लिए आया था तो गुरुदत्त जी को मेरा टेस्ट लेना था। इसी सिलसिले मेंस्क्रीन टेस्ट देने के लिए कॉस्ट्यूम की लाइन में काफी सारे लड़के और लड़कियां खड़े थे यह सपना लिए हुए की एक दिन वह स्टार बनेंगे और उन्हें रोल मिलेगा।
तभी देव आनंद साहब पीछे से आए और आकर उन्होंने धर्मेंद्र के कंधे पर हाथ रख दिया। तो उन्होंने अपने अंदाज में धर्मेंद्र से कहा- ‘हे कम ऑन लेट्स हेव लंच विद मी।'(आओ मेरे साथ लंच करो।) धर्मेंद्र ने बताया- ‘तो मैं हैरान रह गया कि देव साहब मेरे साथ लंच करेंगे। उन्होंने मुझे कहा- कम ऑन, कम ऑन आ जाओ, तुम अच्छे लगते हो, गुड लुकिंग। वो मुझे अपने साथ ले गए।’
इस मुलाक़ात को धर्मेंद्र हमेशा याद करते हैं। धर्मेंद्र के लिए यह कोई मामूली मुलाकात नहीं थी। धर्मेंद्र के अनुसार मुलाक़ात के बाद ‘मैं जब घर आया वापस, तो मुझे नींद ही नहीं आई। रात को मैं सोया ही नहीं। मैं सोच रहा था कि इतने बड़े-बड़े लोगों से मिला हूं तो कुछ तो हो ही जाएगा।’ देव साहब की नज़र यूं ही धर्मेंद्र पर नहीं पड़ी। आखिर जोहरी को सच्चे हीरे की पहचान होती ही है।
जब धर्मेंद्र ने पहली बार देखा आईस बॉक्स
एक साक्षात्कार में धर्मेंद्र ने ख़ुद यह बात बताई कि इसी लंच के दौरान देव आनंद अपने आईस बॉक्स से ठंडा पानी धर्मेंद्र को भी पिलाया। धर्मेंद्र ने उस समय अपनी जिंदगी में पहली बार आईस बॉक्स देखा था। धर्मेंद्र उस समय देव आनन्द के साथ काम करने को इच्छुक थे लेकिन कोई ऐसा मौका नहीं आया। हालांकि 1964 में देव आनन्द साहब के भाई चेतन आनंद की फिल्म ‘हकीकत’ में धर्मेंद्र ने एक जबरदस्त भूमिका निभाई थी जिसके लिए उन्हें काफी सराहा भी गया।
फिर आया धर्मेंद्र के लिए 1979 का सुनहरा मौक़ा
फिर आया सन 1979 जब धर्मेंद्र की देव साहब के साथ काम करने की इस तीव्र इच्छा के पूरे होने के आसार दिखने लगे। 1979 में देव आनन्द के छोटे भाई ने देव आनन्द और धर्मेंद्र के साथ ‘एक दो तीन चार’ नामक फिल्म बनाने की सोची, जिसमें शशि और ऋषि कपूर भी बतौर कलाकार शामिल थे। ज़ाहिर सी बात है कि धर्मेंद्र के लिए यह फिल्म में काम करने का ख़्याल भर भी बहुत माइयने रखता होगा कि लंबे इंतज़ार की बाद अब देव साहब के साथ काम करने का मौका मिल रहा था। लेकिन कभी कभी क़िस्मत की रेखाएँ भी पालक झपकते बदल जाती हैं। हुआ भी ठीक ऐसा ही यह फिल्म किसी वज़ह से पूरी नहीं हो सकी।
सच्चे दिल की दुआएं एक ना एक दिन पूरी होती है
धर्मेंद्र साहब बहुत अब बड़े स्टार बन चुके थे। सदाबहार देव साहब जिनके लिए उम्र सिर्फ़ एक अंक ज़्यादा कुछ नहीं लेकिन 1996 मे भी काफ़ी सक्रिय थे। दूसरी तरफ धर्मेंद्र ने भी अब थोड़ी चरित्र भूमिकाएँ निभाना शुरू कर दिया था लेकिन दर्शकों पर उनका जादू बरकरार था। 1996 में ‘रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ’ में धर्मेंद्र और देव आनन्द पहली बार साथ काम किया। ‘रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ’ में धर्मेंद्र और देव आनन्द पहली बार फ़िल्मों में एक साथ काम किया।
धर्मेंद्र से देव आनन्द को बहुत लगाव था
धर्मेंद्र से देव आनंद को बहुत लगाव था। अक्सर धर्मेंद्र की तारीफ करने वाले देव आनंद कहा करते थे कि धर्मेंद्र बहुत शर्मिला है साथ ही अपनी तरह का एक अनुपम अभिनेता है।जब भी धर्मेंद्र और देव आनन्द आपस में घुल मिल कर बात कर रहे होते हो ऐसा लगता था कि दो पक्के दोस्त अपनी दोस्ती की बेहतरीन यादों को साझा कर रहे हैं।
दोनों अभिनेता अपने ज़माने के सदाबहार अभिनेता रहे
देव आनंद और धर्मेंद्र दोनों अपने जमाने के सदाबहार अभिनेता रहे और लगभग सभी वर्गों के दर्शकों में एक अपनी खास पहचान बनाई। दोनों का अपना एक ख़ास क्रेज रहा जैसे धर्मेंद्र की हष्ट-पुष्ट ही-मैन की छवि और देव आनन्द की काले कोट वाली रोमांटिक हीरो की छवि, जिससे ये दोनों अभिनेता लोगों के दिलों में वर्षों ताजा बने रहेंगे।
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