Actor Prithviraj Sukumaran Love Story: 1990 के दौरान चॉकलेटी हीरो आमिर खान की एक प्रसिद्ध फिल्म आई थी ‘कयामत से कयामत तक’ इस फिल्म में आमिर खान और नवोदित अभिनेत्री जूही चावला ने एक ऐसे प्रेमी युगल की भूमिका निभाई थी जो इस देश के फिल्मी दुनिया के इतिहास में प्रेम प्रसंग की एक यादगार युगल जोड़ी के रूप में हमेशा याद रखी जाएगी।
इस फिल्म का एक गाना है प्यार ने जहां पर रखा है झूम के कदम एक बार, वही से खुला है कोई रास्ता, वही पर गिरी है दीवार। रोके कब रुकी है मंजिल प्यार की। इस गीत को हाल ही में तो नहीं लेकिन पिछले 10 सालों के दौरान बेहतर ढंग से चरितार्थ किया है मलयालम फिल्मों के अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन और मलयाली मूल की मुंबई पत्रकार सुप्रिया मेनन ने, जो पिछले 13 सालों से फिल्मी दुनिया के एक नायाब प्रेमी युगल के रूप में अपने आपको स्थापित करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहे हैं।
इन दोनों की लव स्टोरी एक फोन के जरिए शुरू होती है और उसके बाद यह दोनों इतने नजदीक आ जाते हैं कि आपस के जीवन को मोहब्बत की तान में ऐसे बदल देते हैं कि प्रेम विवाह इस देश में एक स्वर्गिक क़दम के रूप में चर्चित होता जा रहा है।
देश में इन दोनों की प्रेम कहानी हर जुबां पर
मीडिया की तमाम रिपोर्ट इन दोनों की प्रेम कहानी सेलबरेज़ है। दोनों आपसी समझ और सहयोग से अपनी प्रेम मोहब्बत को शादी विवाह में बदलते हुए एक अच्छे जीवन साथी के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं। इन दोनों की प्रेम कहानी देश के और युगल प्रेमियों के लिए प्रेरणा का कार्य कर रही है।
इन दोनों ने यह सिद्ध कर दिया है कि प्रेम विवाह इस दुनिया में स्वर्ग है। अगर आपसी समझ और विश्वास कायम रहे तो प्रेम विवाह को एक कल्पना के ख्वाबों ख्यालों के स्वर्ग के रूप में तब्दील किया जा सकता है। इन दोनों की एक बेटी भी है, जिसका नाम अलंकृता मेनन पृथ्वी राज़ सुकुमारन है।
मेरी बेटी को मेरी पत्नी के नाम से ज्यादा जाना जाए
ख़ुद पृथ्वीराज सुकुमारन कहते हैं कि मेरी बेटी को मेरी पत्नी के नाम से ज्यादा जाना जाए। मेरे नाम से उस नन्ही को ज़्यादा ना जाना जाए। पृथ्वीराज सुकुमारन की यह सोच हर जगह पुरूष मानसिकता का दावा करने वाली संकीर्ण सोच पर करारा तमाचा है। वैसे भी इस तरह की सोच रहा और भावना अगर प्रेमी युगल में आने लगे तो दुनिया में हर प्रेम कहानी अपने उच्चतम परवान में चढ़ के मोहब्बत के उजाले से पूरी कायनात को रौशन कर सकती हैं।आइए दोनों के बारे में कुछ जानते हैं।
पृथ्वीराज सुकुमारन मलयालम सिनेमा के बेजोड़ अभिनेता हैं
वह अभिनेता होने के साथ साथ निर्माता और गायक भी हैं। पृथ्वीराज ने हिंदी, तमिल और तेलुगू फिल्मों में भी काम किया है। 16 अक्तूबर 1982 को जन्मे पृथ्वीराज सुकुमारन के पास अकूत धैर्य की प्रतिभा है। ओर इसी वजह से इनकी सुप्रिया मेनन के साथ प्रेम कहानी आज़ देश भर में चर्चित है।
पुराने मशहूर अभिनेता सुकुमारन और मल्लिका के घर जन्मे पृथ्वीराज सुकुमारन फिल्मी परिवेश में पले-बढ़े हैं। पृथ्वी के भाई इंद्रजीत भी जाने माने अभिनेता हैं।पृथ्वीराज ने कॉलेज के दिनों से ही अपने करियर की शुरुआत कर दी थी। मलयालम में सफलता पाने के बाद पृथ्वीराज ने बॉलीवुड में रानी मुखर्जी के साथ अपना डेब्यू किया। वह ‘अइय्या’ फिल्म में नजर आए थे। इसके बाद वह ‘औरंगजेब’ और ‘नाम शबाना’ में भी काम कर चुके हैं।
कैसे महज़ एक फोन कॉल से दोनों के प्रेम को परवान मिला – Prithviraj Sukumaran Love Story
पृथ्वीराज सुकुमारन को पत्रकार सुप्रिया मेनन से प्रेम हुआ। महज़ एक फोन कॉल से इनके प्रेम को ऐसा परवान मिला कि दोनों शादी कर ली। आज अपने इस पवित्र बंधन को दोनों शिद्दत से निभा भी रहे हैं।एक इंटरव्यू में अभिनेता ने बताया था कि पहली बार सुप्रिया ने उन्हें दक्षिण भारतीय फिल्मों पर एक फीचर करने के लिए बुलाया था। दोनों की किताबों और फिल्मों को लेकर सोच बहुत मिलती थी और वह दोस्त बन गए।
सुप्रिया और पृथ्वीराज की मुलाकात कैसे पत्रकारिता के काम के दौरान हुई
सुप्रिया मेनन लंबे समय तक NDTV के लिए प्रथम श्रेणी की पत्रकार रहीं हैं। एक दफ़ा उन्हें उनके संपादक द्वारा मलयाली सिनेमा को कवर करने का कार्यभार सौंपा गया, क्योंकि वह भी जन्म से मलयाली थीं। हालाँकि, सुप्रिया ममूथी और मोहनलाल जैसे मलयाली फ़िल्म उद्योग के कुछ दिग्गजों को छोड़कर मलयाली सिनेमा के बारे में कुछ भी नहीं जानती थीं।
उन्हें यह काम पूरी तरह अपनी पहुंच से बाहर लग रहा था। ऐसे में उन्होंने अपने एक सहकर्मी से मदद मांगी, जिन्होंने उन्हें मलयाली सिनेमा के एक तत्कालीन युवा और नए अभिनेता का नंबर दिया। यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि स्वयं पृथ्वीराज सकुमारन ही थे।सुप्रिया ने जब पृथ्वीराज को कॉल मिलाया तो वह फोन कॉल तो इस इश्क़ के जादू की सिर्फ़ आग़ाज़ था। सुप्रिया के लिए पृथ्वीराज सिर्फ़ एक मदद करने वाले एक व्यक्ति नहीं और भी मायिने रखने लगे।
जब सुप्रिया बनीं पृथ्वीराज की टूर गाइड
धीरे धीरे दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए। चूंकि सुप्रिया मुंबई में रहा करती थीं, इसलिए जब पृथ्वीराज मुंबई आए तो वह धीरे-धीरे पृथ्वीराज की टूर गाइड भी बन गयीं। पृथ्वीराज का सपना शहर का दौरा करना और सड़कों पर घूमना था। एक साक्षात्कार में, पृथ्वीराज ने मुंबई में अपने बाद के स्थान परिवर्तन के बारे में खुलासा किया, उन्होंने खुलासा किया कि कैसे उन्होंने अपनी सबसे अच्छी दोस्त सुप्रिया की नज़रों से शहर को देखा, और धीरे-धीरे उनका रिश्ता आगे बढ़ा।
सुप्रिया की आँखों से पृथ्वीराज ने देखी मुंबई
उन्होंने कहा, ‘सुप्रिया एक मलयाली हैं, जो मुंबई की रहने वाली हैं। बकौल पृथ्वीराज सुकुमारन, मैंने सुप्रिया की आंखों से ही असली मुंबई देखा। बेशक, मैं उनसे मिलने से पहले मुंबई से परिचित था। लेकिन सुप्रिया ने मुझे मुंबई दर्शन कराया और वो हिस्से दिखाए जो मैंने पहले कभी नहीं देखे थे।’
कब दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई पता ही ना चला
इसके बाद उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई (Supriya Menon and Prithviraj Sukumaran Love Story) और 25 अप्रैल 2011 को दोनों शादी के बंधन में बंध गए। दोनों की एक बेटी अलंकृता है। जो उनकी आपसी प्रेम मोहब्बत की एक नायाब नेमत समूची दुनिया के लिए कही जा सकती है।
त्याग और आपसी समझ प्रेम को बनाते हैं और पावन
प्रेम को विवाह में और प्रगाढ़ करने के लिए सुप्रिया मेनन माया नगरी मुंबई छोड़कर केरल में शिफ्ट हो गई हैं। सुप्रिया के ऐसे त्याग और पृथ्वीराज सुकुमारन की ऐसी आपसी समझ से ही उनकी प्रेम कहानी आज जन जन में चर्चित हुई है।
सच ही कहा है “प्यार ने जहां पर रखा है झूम के कदम एक बार, वही से खुला है कोई रास्ता, वही पर गिरी है दीवार। रोके कब रुकी है मंजिल प्यार की” दोनों को fastfwdz.com की ओर कोटि कोटि शुभकामनाएं।
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