Mango Man: कलीमुल्लाह ख़ान एक क्रॉसब्रेड गुलाब की झाड़ी से प्रेरित थे।
दुनिया का सबसे अनोखा आम का पेड़
यह एक दुनिया का सबसे अनोखा आम का पेड़ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पास एक नर्सरी में लंबा खड़ा यह आम का पेड़। यह एक विशाल छतरी जैसा है जिसके नीचे कम से कम 15 लोगों पिकनिक आराम से मना सकते है। इसकी शाखाएं फलों से लड़ी रहती हैं।
इस पेड़ की पत्तियाँ भी बेहद खूबसूरत हैं। कुछ पत्ते धनी कुछ गहरे हरे। प्रत्येक शाखा पर आम भी अलग क़िस्म के दिखते हैं। कोई गोल, कोई अंडाकार, कोई कोई तो दिखने में किड्नी जैसा दिखता है,। रंग भी अलहदा अलहदा। कुछ हरे, कुछ पीले, और अन्य नारंगी, गुलाबी और बैंगनी रंग के हैं। लेकिन जनाब यह सब हैं आम ही। यह जादुई आम का पेड़, 300 से अधिक किस्मों के आम की वराइयटी उगाता है।
80 वर्षीय कलीमुल्लाह ख़ान (Kalimullah Khan Mango Man) एक जादूगर से कम नहीं
यह करामात 80 वर्षीय कलीमुल्लाह ख़ान साहब कर दिखाई है जिन्हें “मैंगो मैन” नाम से भी जाना जाता है। कड़क, सफेद कुर्ता पायजामा में इस पेड़ की छाँव में बैठने वाले कलीमुल्लाह बताते हैं कि वह पास के एक गाँव से दशहरी आम, पश्चिम बंगाल का हिमसागर, बिहार का लंगड़ा सब इस पर उगते हैं। यही नहीं बेशक बेशकीमती अल्फांसो आम, जिसका मीठा, मलाईदार, केसरिया रंग का गूदा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी मांग में है, वह भी इस पेड़ पर मुस्कुराता दिख जाता है।
कहाँ है यह करिश्माई पेड़ – Mango tree with 300 varieties?
ख़ान का आम का बाग़ मलिहाबाद में है, जो आम के बड़े बगीचों और आम के शौकीनों के लिए उत्तरी भारत का स्वर्ग है। अपने बेटे की मदद से, ख़ान 22 एकड़ बाग़ मे खेती करते हैं। यह बाग़ उनके दादा ने पहली बार उनके दादा ने 1900 के लगभग लगाया था। बरसों पहले ख़ान ने हाई स्कूल छोड़ दिया और आम को अपना जीवन साथी बना लिया।
15 साल की उम्र में पैदा हुआ जुनून
शुरुआत में परिवार ने कुछ स्थानीय किस्में उगाईं जैस आकी वहाँ का चलन था। लेकिन आम ग्राफ्टिंग का ख़ान का जुनून उन्हें 15 साल की उम्र में ही लग गया। उस दौरान उन्होंने एक दोस्त के बगीचे में क्रॉसब्रेड गुलाब देखे, जिसमें एक गुलाब का पौधा अलग-अलग रंगों के फूल उगा रहा था। इससे उन्हें आश्चर्य हुआ कि एक पेड़ भी विभिन्न प्रकार के फल पैदा कर सकता है।
Struggle of Mango Man – ख़ान साहब के संघर्ष की कहानी
फिर कलीमुल्लाह साहब ने मन में ठाना कि जो गुलाब के पेड़ में उन्होंने जादू देखा उसे वह आम पर दोहराएँगे। 17 साल की उम्र में उन्होंने एक ही पेड़ पर आम की सात किस्में लगाईं। उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था कि बाढ़ आ गयी और उनका पेड़ मिस्टर गया। ख़ान साहब का तो जैस दिल टूट गया। लेकिन संकल्प वाले किसी संकट से पीछे नहीं हटते। ग्राफ्टिंग के बारे में उन्होने और जानकारी प्राप्त करनी शुरू कर दी और अपने बाग़ में अनुसंधान करने शुरू कर दिए।
कैसे तपस्या का मीठा फल मिला
वर्षों तक ख़ान ने इस विषय में धैर्य के साथ तपस्या की। 1987 में, उन्होंने 100 साल पुराने आम के पेड़ पर विभिन्न किस्मों की कटिंग गरफटिंग शुरू की। उन्होंने दुर्लभ किस्मों के आम देश भर में तलाशे। विभिन्न प्रांतों से अनन्य नमूने एकत्र किए। आज पेड़ 300 से अधिक प्रकार के आम उगाता है। ख़ान साहब इसे अल मुक़र्रर नाम से पुकारते हैं।
अल मुक़र्रर है मैंगो मैन (Mango Man) का धड़कता दिल
ख़ान आज फ़क़्र से अपने अल मुक़र्रर को देखतें हैं और कहते है “मैं अपनी मृत्यु के बाद भी, उन आमों के माध्यम से जीना चाहता हूँ जो मैंने उगाए हैं। मुझे उम्मीद है कि लोग मेरी मेहनत का फल खाएंगे और किसी तरह से लाभान्वित होंगे। यही प्रकृति की सुंदरता है। वह हमेशा देती ही रहती है।”
‘मैंगो मैन’ का यह जुनून हमेशा इसी तरह बढ़ता रहे पनपता रहे और उनके प्यारे अल मुक़र्रर की शाख़ों पर रंग बिरंगे, खूबसूरत आम खूलते रहें।
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