Fear of Darkness: बचपन से अँधेरा का डर घर कर लेता है क्यूँ?
बचपन में हम सभी ‘अंधेरे से डरे हुए’ दौर से गुजरते हैं। यूं तो जब हम छोटे थे हम कई मायनों में, उन चीजों के सामने निडर थे जिन्हें हम वयस्कों के रूप में अधिक सतर्क हो जाते है। परन्तु बचपन में अंधेरे के बारे में कुछ ऐसा था जो हमें हर रात किनारे पर रखता था। कुछ था अंधेरे में की बचपन में कि हमने अंधेरे की काले रंग से भूतो और राक्षसों के भरम मन में पैदा कर लिए।
शोधकर्ताओं की दिलचस्प अन्वेषण
दरअसल इसके पीछे इंसान के विकास पर कुछ शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है। उनके अनुसार यह सहज भय मानव इतिहास के एक बिंदु से उपजा है जब हम आज के जैसे सर्व सम्पन्नं नहीं थे। आज तो हम स्वयं को समस्त दुनिया सबसे शक्तिशाली और सबसे बड़े शिकारी समझते हैं । इंसानी मस्तिष्क की क्षमता ने हमें और प्राणियों से भीं बनाया और फिर प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ ही मनुष्य वास्तव में सुपर शिकारी बन गए। जो संभवता हम अतीत में नहीं थे।
शायद जब हम इतने विकसित नहीं थे, हमारे पूर्वज लगातार जंगली शिकारियों की चपेट में आ जाते थे। हम रात में और शिकारी जानवरों की तीव्रता से ना तो देख पाते, ना ही सूंघ पाते। अँधेरे में हम मजबूर थे और भयभीत थे।
बीएस दिन के होने का इंतज़ार करते। इसका मतलब है कि हमारे पूर्वजों के लिए आधी रात में सुरक्षित रहना बेहद जरूरी था। अगर वे नहीं करते, तो वे मर जाते। वर्षों से, यह रात का डर सहज हो गया है, और हम आज भी इसे हल्की चिंता के रूप में अनुभव करते हैं।
टोरंटो विश्वविद्यालय का अध्ययन
गिज़मोडो में एंड्रयू टारनटोला के अनुसार, कनाडा में टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा 2012 इस पर दिलचस्प अध्ययन किया। इस में इस बात की चर्चा है कि पूर्वजों को अंधेरे में सतर्क रहने की यह सोच हम मानवों में आज तक पनपती है। अंधेरे से डरना असल में अज्ञात का डर है। हम नहीं देख सकते कि वहां क्या है और यह ही हमें डराता। हमारी कल्पना सबसे खराब संभव चीज को दिमाग में भर देती है और हम डरने लगते हैं।
अन्धकार और काले रंग का भ्रम
शायद धीरे धीरे अंधरे और काले रंग अनेक विश्व की सभ्यतों में कई भ्रम पलने लगे। काले रंग के कपडे का मौत और मय्यत से जुड़ना , काले रंग की बिल्ली का रास्ता काट देना और काला जादू इत्यादि।
बदलते वक़्त के साथ बदली है धारणाएं
खैर बदलते समय के साथ काले रंग के मायने अब बदल रहे है। कला रंग आज फैशन की दुनिया का सबसे पसंदीदा रंग बन गया है। हॉलीवुड हो या बॉलीवुड काले रंग बड़े से बड़े सितारे को लुभाता है। काले रंग की गाडी या काले रंग का चश्मा इस्तेमाल करते ही बात बन जाती है। काले रंग का वहम तो वक़्त के साथ दूर हो गया है लेकिन अँधेरा आज भी डराता ही है।
घोर अँधेरे में आप जो रंग देखते हैं उसका भी एक नाम है।
एक रंग का नाम Eigengrau भी होता है
अगर आप पूरी तरह से अंधेरे कमरे में अपनी आंखें बंद करते हैं। जब आप उन्हें खोलते हैं, तो आपको जो रंग दिखाई देता है उसे ईगेंग्राउ (eigengrau) कहा जाता है। ईगेंग्राउ अर्थ है आंतरिक धूसर। यह गहरे भूरे रंग की छाया है जिसे लोग तब देखते हैं जब कोई प्रकाश नहीं होता है। है ना गज़ब का नाम! तो अगली बार जनाब जब अंधेर एमें हों तो डरे नहीं बस कहें बहुत ईगेंग्राउ है। वैसे कहनी और करनी में बहुत फर्क है साहब!
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