Loan to Buy Helicopter

Loan to Buy Helicopter: महाराष्ट्र के हिंगोली में एक अनोखा मामला टकटोड़ा गांव में बताया जा रहा है। वहाँ के किसान जिनका नाम नाम कैलाश पतंगे है, उन्होंने अपने ऋण आवेदन के साथ गोरेगांव के एक बैंक से अनूठे अंदाज में लोन के लिए आवेदन किया है।

कौन है यह अनूठा किसान – Who is Farmer Kailas Patange who took loan to buy Helicopter?

22 साल एक किसान कैलाश पतंगे ने महाराष्ट्र के हिंगोली में बैंक से 6.6 करोड़ रुपये के लोन के लिए आवेदन किया है। पतंगे ने आवेदन में में बताया है कि वह इन पैसों से एक हेलीकॉप्टर खरीदेगा। आपने किसानों को खाद, बीज या ट्रैक्टर के लिए तो लोन लेते तो ज़रूर सुना होगा मगर इन अनूठे साहब को हेलिकॉप्टर चाहिए। जब पूछा गया कि वह भला इस हेलिकॉप्टर का खेती के लिए कैसे उपयोग करेंगे, तो जो जवाब सामने से आया उसे सुन कर आप हैरान हो जाएँगे।

loan to buy helicopter
Loan to Buy Helicopter :कैलाश पतंगे अपनी अनोखी लोन याचिका के साथ

क्यूँ चाहिए है लोन – Why loan to buy Helicopter?

जानिए कि आख़िर इतनी रक़म से ख़रीदे गए हेलिकॉप्टर का क्या करेगा किसान। कैलाश पतंगे ने बताया कि हेलीकॉप्टर को वह किराये पर देगा और अपना जीवन यापन करेगा। इसके पीछे उसने तर्क दिया कि खेती करना अब उसके बस में नहीं रह गया है।

मज़ाक़ की बात नहीं इसके गम्भीर अर्थ भी आंके जा सकते हैं।

महाराष्ट्र के हिंगोली में टकटोड़ा गांव के इस मामले को हम हंसी में ज़रूर उड़ा दें मगर इसका कई गंभीर अर्थ भी निकलते हैं। गोरेगांव के एक बैंक से संपर्क करके उन्होंने अपने ऋण आवेदन देने के साथ कई प्रश्न खड़े कर दिए। किसान कैलाश पतंगे के पास दो एकड़ जमीन है जो कि कम नहीं मानी जा सकती। उनके अनुसार अनियमित बारिश और सूखे जैसी परिस्थितियों की वजह से  पिछले कुछ वर्षों में खेती करना मुश्किल हो गया है। उनका कहना है कि अब किसानी मेरे बस में नहीं रह गई है।

खेती में युवकों की रुचि शायद कम हो रही है।

पतंगे पिछले दो साल में अपनी जमीन पर सोयाबीन की खेती कर रहा था। बेमौसम हुई बारिश के कारण उसे काफ़ी नुक़सान झेलना पड़ा। उसके अनुसार फसल बीमा का पैसा भी पर्याप्त नहीं था। पतंगे की अनुसार उन्होंने एक अच्छा जीवन जीने के लिए एक हेलीकॉप्टर खरीदने का मन  बना लिया है। जहां दो साल में पतंगे विवश हो गए यह भी दर्शाता है कि युवकों में कृषि अब लोकप्रियता खो रही है और नई पीढ़ी इतना श्रम करने को उत्सुक नहीं है।

‘किसान भी बड़े सपने देखें’

पतंगे ने कहा क‍ि कौन कहता है कि बड़े लोगों को ही बड़े सपने देखने चाहिए? दो एकड़ जमीन के मालिक पतंगे ने कहा कि बेसमय बारिश और सूखे जैसे हालात ने पिछले कुछ सालों में खेती जीवन यापन का साधन नहीं रह गया है। पिछले दो सालों में अपनी जमीन पर सोयाबीन की खेती की, लेकिन बेमौसमी बारिश के कारण पतंगे को अच्छा रिटर्न नहीं मिला।

वक्त है नई नीति और जागृति का

पतंगे का सपना साकार होगा या नहीं यह तो वक्त बताएगा मगर किसानी से नव युवकों का रुचि कम होना देश की अर्थ व्यवस्था के लिए एक ख़तरे की घंटी है। खेत खलियान, किसान तो भारत की पहचान हैं। अगर किसान यूँहीं खेतों से मुख मोड़ते रहे तो भारत जैसे कृषि-प्रधान देश में ज़रूर सरकारी नीतियों और सामाजिक सोच को बदलने की ज़रूरत है। शायद कृषि आधुनिकरण ही भारत जैसी कृषि अर्थव्यवस्था को बचा सके।

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