भारत भर में अधिक से अधिक महिलाएं अब दकियानूसी सामाजिक बंधनों को तोड़ रही हैं। वह अपने घरों से बाहर काम करने और वह करने के लिए आ रही हैं जो उन्हें सबसे ज्यादा पसंद है। देश की स्थिति में ऐसे बदलाव देखकर बहुत प्रसन्नता होती है और भारत का सुंदर भविष्य दिखता है। ऐसी ही साहसी युवती की कहानी हम आपसे साँझा करने जा रहे हैं।
कौन है यह अनूठी युवती Ann Mary
यह कहानी है 21 वर्षीय लॉ स्टूडेंट एन मैरी की, जो बस चलाती हैं। वह कानून की छात्रा है जिसने अपने सपने को पूरा करने के लिए सभी रूढ़ियों को तोड़ दिया। और सपना भी बिलकुल अनूठा, मुफ्त में बस चलाने का। इनका पूरा नाम है, एन मैरी अंसालेन, जो एर्नाकुलम लॉ कॉलेज में क़ानून पढ़ती हैं। हर रविवार को मैरी हे डे नाम की बस का संचालन करती हैं और व्यस्त कक्कानाड-पेरुम्बदप्पू सड़क से गुजरती हैं।
ड्राइविंग है इनकी दीवानगी
ऐन ने कहा कि वह हमेशा वाहनों को लेकर बड़ी उत्साहित रहती थीं । वह बचपन से ही बड़े और भारी वाहनों का दीवानी थीं। लॉरी, ट्रक, बस, आप नाम लीजिए इन्हें सब पसंद हैं। शायद इसलिए मैरी मुफ्त में बस चलाती हैं।
क्यूँ करना पड़ा 3 साल का लम्बा इंतेज़ार
इस सपने के पंख लगे जब वह महज़ 15 साल की थीं और उन्होंने अपने पिता की रॉयल एनफील्ड बुलेट पर सवारी करना सीखा। एनफील्ड बुलेट सीख तो ली लेकिन चलाएं कैसे? फिर आया 3 साल का लम्बा इंतेज़ार। इस अरसे में इन्हें कॉलेज जाने और 18 साल के होने तक इंतेज़ार करना पड़ा।
आया रविवार, हो गयीं तय्यार
यह अनूठी लॉ स्टूडेंट अब हर रविवार को बस चलाती है। अन्य दिनों में, मैरी हर शाम बस से उसके मालिक के घर ले जाती जो उनका पड़ोसी भी है।
पहले पहल तो लोग हक्के बक्के रह गए
जब मैरी ने पहली दफ़ा बस चलाई थी। तो एक महिला को इतना बड़ा वाहन चलाते देख लोग दंग रह गए। शुरुआती हफ्तों में, मैरी सबको एक अजूबा सी लगीं। एक महिला को गाड़ी चलाते देख वह भी बस, कई लोग डर गए।
शुरू में करना पड़ा संघर्ष
मैरी की अनुसार कई लोगों को लगा कि एक दुर्घटना होना निश्चित है। फ़िर समय बीता और अब वे मारी को हर रविवार इस मार्ग पर बस चलाते हुए देखने के आदी हो गए हैं। उसने कहा कि अन्य ड्राइवर शुरू में एक महिला के ड्राइविंग के प्रति ग्रहणशील नहीं थे। कई ड्राइवर उसका पीछा करते थे और मैरी की बस को ओवरटेक करने की कोशिश करते थे। उनमें से कई लोग भद्दे और आपत्तिजनक कमेंट भी करते थे। यह सब मारी के लिए बहुत दुखदायी था। मगर मारी भी अपने इरादों की पक्की थी।
अब ड्राइवरों से है दोस्ती
आज यह कोची का एक परिचित दृश्य है और उसने कई साथी ड्राइवरों से दोस्ती भी कर ली है। बस में अन्य कर्मचारी, जैसे कंडक्टर, अब मैरी की दोस्त हैं और हर शिफ्ट के बाद साथ में खाना भी खाते हैं।
समाज में बस चालकों की अच्छी छवि नहीं है
ऐन मैरी के अनुसार सभी बस चालकों के बारे में समाज में ना जाने क्यूँ बुरी धारणा है। उनका कहना है कि हर क्षेत्र में अच्छे और बुरे दोनों क़िस्म के लोग होते हैं और ड्राइवरी में भी ऐसा ही है।
परिवार और पड़ोसी सबका सहयोग
उनके इस अनूठे प्रयास में उन्हें अपने माता-पिता का पूरा समर्थन और सहयोग प्राप्त है। उनके पड़ोसी सरथ एम एस ने भी उनको भरसक प्रोत्साहित किया। सरथ ने ऐन मैरी को बस चलाना और नियंत्रित करना सिखाया। उन्होंने धैर्यपूर्वक मारी को अभ्यास करने दिया। ऐन मैरी ख़ुशक़िस्मत हैं कि उनकी दादी मरियम्मा ने भी उन्हें बचपन से प्रोत्साहित किया। वह वाहनों के प्रति मेरे प्यार के बारे में जानती थी।
यह कथा है साहस और प्रतिज्ञा की
ऐन मैरी की कहानी कोई आम कहानी नहीं है। ये कहानी हैं धैर्य की, सपनों को देखने की और उनको पूरा करने की हिम्मत रखने की। मेरी की तरह ही ना जाने कितने युवक और युवतियों के सपने होते हैं, मगर शायद साहस के ना होने से उनके सपने पूरे नहीं हो पाते। सभी को एन मैरी जैसा उत्साहजनक परिवार और पड़ोसी भी नहीं मिलते। मगर फिर भी मैरी का कोची जैसे शहर में बस चलाने का सपना शायद भारत का बदलता भविष्य दर्शाता है। ऐन मैरी युवाओं ख़ास कर की महिलाओं के लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा हैं।
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