Aradhana Movie: Beginning of a new era for Hindi cinema. आराधना फिल्म को रिलीज़ हुए लगभग 55 वर्ष होने वाले हैं, लेकिन आज भी यह फिल्म और इसके गीत ताज़गी भरे लगते हैं। फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञों की माने तो आराधना कोई मामूली फ़िल्म नहीं थी बल्कि हिंदी सिनेमा के लिए एक नए युग की शुरुआत का संकेत थी। शक्ति सामंत के निर्देशन में बनी राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर द्वारा
अभिनीत इस फ़िल्म फिल्में ऐसी क्या बात थी कि 50 साल हो जाने के बाद भी आज तक इसकी चर्चा होती रहती है। क्यों आराधना एक हिंदी सिनेमा के लिए एक नए युग की शुरुआत का संकेत थी, चलिए अतीत में चलें और पूरी बात को गहराई से समझें
सकती सामंत को ख़ुद जब अपने जादू पर नहीं हुआ विश्वास
शक्ति सामंत में जब आराधना फिल्म की शुरुआत करी तब तक वह काफी चर्चित निर्देशक तो बन चुके थे। आराधना से पहले, उन्होंने कई चर्चित फिल्में बनाई जैसे ‘हावड़ा ब्रिज’, ‘चाइना टाउन’, ‘कश्मीर की कली’, ‘सावन की घटा’ और ‘एन इवनिंग इन पेरिस’। लेकिन आराधना ने जो जादू किया उसका फ़िल्म इंडस्ट्री में कोई मिलान नहीं है। यूँ तो आराधना भी शक्ति सामंत ने अपनी सभी फ़िल्म की तरह पूरे उत्साह से तो बनाई थी मगर इस फ़िल्म को जो दर्शकों से जो अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली उसकी शक्ति दा ने भी उम्मीद नहीं की थी।
आराधना (Aradhana Movie) किसी आम फ़िल्म की तरह रिलीज़ हुई लेकिन
आराधना को सेंसर प्रमाणपत्र 27 सितंबर 1969 को जारी किया गया था, यह फ़िल्म भारत में 24 अक्टूबर 1969 को रिलीज़ हुई। फिर आया 7 नवंबर 1969 का दिन जब फ़िल्म को बॉम्बे सहित भारत के अन्य हिस्सों में रिलीज़ किया गया। आगे की कहानी सारा जग जानता है।
किसी को उम्मीद नहीं थी की मोहब्बत का तूफ़ान आने को है
जब आराधना स्क्रीन पर आई तो कोई भी उस उन्माद के लिए तैयार नहीं था जो उसके बाद आने वाला था। फ़िल्म आराधना ना केवल 1969 की सबसे बड़ी हिट थी जो कई हफ्तों तक खचाखच भरी रही, बल्कि इस फ़िल्म ने हिंदी सिनेमा के लिए एक नए युग की शुरुआत का संकेत भी दिया। आराधना की दीवानगी में पूरा देश डूब गया था। फ़िल्म के हीरो राजेश खन्ना, रातोंरात सनसनी बन गए और प्रशंसकों द्वारा उन्हें ‘पहले सुपरस्टार’ का तमग़ा दे दिया गया। इस फ़िल्म के लिए अविस्मरणीय क्रेज़ था और इस तरह का सामूहिक पागलपन फैला जो पहले कभी नहीं देखा गया था।
महिला प्रधान फ़िल्म में भी राजेश खन्ना ने लूट लिया ज़माना
आराधना एक महिला प्रधान फिल्म थी। इसमें शर्मिला टैगोर ने प्रेम में डूबी एक युवा महिला और उसके बाद अपने बेटे के लिए सब कुछ त्याग देने वाली माँ की भूमिका में यादगार अभिनय किया। शर्मिला की खूब तारीफ़ हुई और उनकी परफॉरमेंस ने दर्शकों को पूरी तरह से बांधे रखा, लेकिन यह राजेश खन्ना को जो पब्लिक प्रतिक्रिया मिली उसका आजतक कोई तुलना नहीं है। राजेश ही थे जिन्होंने पिता और पुत्र वायु सेना पायलट के रूप में अपनी दोहरी भूमिका में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
किशोर कुमार के असली दौर आराधना से शुरू हुआ
आराधना ने किशोर कुमार को हिंदी सिनेमा के प्रमुख पार्श्व गायक के रूप में शीर्ष पर पहुंचते हुए भी देखा गया। ना सिर्फ़ किशोर का असली दौर इस फ़िल्म से ही शुरू हुआ इस फिल्म ने उन्हें राजेश खन्ना की आवाज़ के रूप में भी स्थापित कर दिया। किशोर कुमार ख़ुद इस बात से इतिफ़ाक़ रखते थे।
जब हिन्दी सिनेमा बुलंदियों पर था
शायद इन्ही सब कारणों से आराधना को कोई मामूली फ़िल्म नहीं कह सकते। आराधना एक उल्लेखनीय फिल्म है और उस युग की यादें ताज़ा करती है जब हिंदी सिनेमा वास्तव में अभिनय, गायन, गीत और सामग्री में शीर्ष श्रेणी की प्रतिभा के साथ बुलंदियों पर था।
क्या कभी दूसरी आराधना बनानी मुमकिन है? संभवत: कभी नहीं।
इसकी सफलता से जुड़े लगभग सभी प्रतिभावान लोग अब हमें छोड़ कर चले गायें हैं, चाहें निर्देशक शक्ति सामंत हों, या राजेश खन्ना। किशोर कुमार, मोहम्मद रफ़ी, एसडी बर्मन, आरडी बर्मन और आनंद बख्शी शायद सभी किसी और दूसरी दुनिया में अपना जादू बिखेर रहें होंगे, फिर भी, आराधना जीवित है, अमर है और हिंदी सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक बनी हुई है। क्या कभी दूसरी आराधना (Aradhana Movie) बनानी मुमकिन है? संभवत: कभी नहीं।
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