Yogi Prahlad Jani story: विज्ञान के पास सचमुच कई रहस्यों का कोई उत्तर नहीं है। भारत में एक ऐसे भी योगी रहें हैं Yogi Prahlad Jani – जो 76 साल बिना भोजन और पानी के जीवित रहे। यह योगी केवल हवा पर निर्भर थे। योगी प्रह्लाद जानी उर्फ चुनरीवाला माताजी ने सन 2020 में 91 वर्ष की आयु में स्वेच्छा से गुजरात के गांधीनगर जिले के गांव चरदा में प्राण त्यागे। डॉक्टर और वैज्ञानिक इस योगी के योग को लाख कोशिशों के बावजूद कभी भी समझ नहीं पाए।
ना खाते ना पीते, केवल हवा पर जीवित
चुनरीवाला माताजी, जिसे रहस्यवादी योगी के रूप में जाना जाता था, गुजरात राज्य में एक ऐसे संत थे जिनके हज़ारों लाखों अनुयायी थे। जानी का कहना था कि देवी अम्बा उनकी देखभाल कर रही थीं और उन्हें जीवित रहने के लिए भोजन या पानी की आवश्यकता नहीं थी। और सचमुच किसी ने वर्षों तक उन्हें कुछ खाते पीते नहीं देखा। योग के रहस्य और शक्ति से हम विज्ञान के युग में कितना भी झुठला लें लेकिन इस शास्त्र में भी कुछ तो सत्य है।
देवी अम्बा की भक्त, स्त्री के वेश में रहते थे
जानी देवी अम्बा की भक्त थे और हर समय लाल साड़ी (चुनरी) पहने रहते थे। वह स्त्री के वेश में होने के कारण चुनरीवाला माताजी कहलाने लगे। योगी जानी के मुताबिक, उन्होंने 76 साल से न तो खाना खाया था और न ही पानी। उनके अनुयायियों का कहना है कि योगी ने छोड़ दिया था। उन्होंने अंबाजी मंदिर के पास एक छोटी सी गुफा बना ली थी और वहीं निवास करते थे। यह गुफा गुजरात के बनासकांठा ज़िले में स्तित है।
Yogi Prahlad Jani Secret – जानी का रहस्य
उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति के रूप में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की, जो दशकों तक जल और भोजन के बिना जीवित रहे, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय के एक गुट ने उनके दावों पर संदेह भी करता रहा। जानी 2010 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के डीआईपीएएस द्वारा एक प्रमुख अध्ययन सहित एक documentary film और कई वैज्ञानिक अध्ययनों का हिस्सा थे। उनके प्रयोग के दौरान जानी को CCTV की निगरानी में रखा गया था और उनके शरीर के तापमान, वाइटल्ज़ और जैव रासायनिक प्रक्रियाओं का अध्ययन भी किया गया था।
डॉक्टर सुधीर शाह का शोध
“हम सभी वैज्ञानिक रूप से शिक्षित और अनुसंधान उन्मुख डॉक्टर हैं। हमने अपने दिमाग को चकमा दिया और यह हमारे अब तक के मौजूदा जीवन का सबसे बड़ा आश्चर्य था … मानो किसी बम ने हमें मारा हो!”
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डॉक्टर सुधीर शाह शहर स्थित न्यूरोलॉजिस्ट हैं, जो इस पहल का हिस्सा भी थे तथा जानी पर की गयी और भी शोध कार्यों का हिस्सा थे। डॉक्टर सुधीर शाह ने अपनी वेबसाइट पर उल्लेख किया है कि जॉनी के पास चरम रूप की क्षमताएँ थी जिससे भोजन और जल के प्रतिबंध का अनूठा अनुकूलन कर लेते थे। उनके serum Leptin and Ghrelin levels से पता चलता है उनके परिधीय रक्त मोनोकुलर कोशिकाएं तनाव के प्रति अधिक सहिष्णुता प्रदर्शित करती थीं।
अहमदाबाद के चिकित्सकों के संघ के महासचिव डॉ. उरमान ध्रुव, जिन्होंने इस डॉक्युमेंटरी फ़िल्म और शोध में नैदानिक अध्ययन प्रोटोकॉल का पर्यवेक्षण और अनुमोदन किया है उनका कहना है:
“श्री प्रह्लाद जानी (Yogi Prahlad Jani) ने हमारे प्रोजेक्ट के इन 10 दिनों के दौरान न तो मौखिक रूप से कुछ लिया, न तरल पदार्थ, न पानी, न ही भोजन – और श्री जानी ने इन 10 दिनों के दौरान मूत्र या मल पास नहीं किया”।
विज्ञान की समझ से परे, ऐसे योगी सदियों में आते है
लेकिन ऐसा होना आम बात तो नहीं है। आम इंसान को नाश्ते के बाद दोपहर का भोजन ना मिले तो वह आग बबूला हो उठता है। ऐसे में जानी योगी इतने वर्षों तक कैसे बिना अन्न और जल के जीवित रहे, यह योग तो शायद बता पाए परंतु विज्ञान के पास इसका ठोस जवाब नहीं है। शायद विज्ञान अभी भी प्रारम्भिक अवस्था में है और ऐसे रहस्यों को समझने समझाने के लिए बहुत समय है। चुनरीवाला माताजी, जानी देवी ने अपनी इच्छा से अपने पैतृक गांव चरदा में प्राण त्यागे। उनकी अनूठी शक्तियाँ और क्षमताएँ आज भी एक रहस्य है।
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