Untold facts about Bollywood legend Manoj Kumar

देशभक्ति को फ़िल्मों में लोकप्रिय बनाया

मनोज कुमार हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के अनोखे फिल्म अभिनेता, निर्माता और निर्देशक हैं जिन्हें श्रेय जाता है देशभक्ति पर आधारित लोकप्रिय फ़िल्मों से देश का दिल जीत लेने का।आयोग के बारे में कुछ ऐसे तथ्य जानते हैं जिनके बारे में शायद आपको जानकारी ना हो। 

किस वजह से बदला नाम 

फ़िल्मों के शौकीन मनोज कुमार दिलीप कुमार साहब के दीवाने थे। वह दिलीप कुमार की फिल्म ‘शबनम’ के किरदार ‘मनोज कुमार’ से इतनी प्रेरित हुए कि उन्होंने अपने असली नाम हरि कृष्ण गिरी गोस्वामी को बदलकर अपना नाम मनोज कुमार रख लिया।  

पहली फ़िल्म में बनें भिखारी 

लगभग दस साल की उम्र में, वह आज़ाद मैदान में क्रिकेट प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए दादर, मुंबई चले गए।

पहली फ़िल्म बतौर  लीड ऐक्टर 

वर्ष 1960 उन्होंने बतौर लीड एक्टर फिल्म का काम किया था। फ़िल्म का नाम था ‘काँच की गुड़िया’

कुमार की पहली हिट फिल्म ‘हरियाली और रास्ता’ थी जो वर्ष 1962 में रिलीज़ हुई। इस फ़िल्म को अपार सफलता मिली। इस बात पर हैरान होंगे किइस फ़िल्म के दीवानगी इतनी थी कि मनोज कुमार के चाहने वालों की कतार में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी शामिल थे। 

प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री उनके फ़ैन थे  

1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद प्रधानमंत्री शास्त्री जी ने अपने नारे ‘जय जवान जय किसान’ परमनोज को एक फिल्म बनाने के लिए कहा। बात मनोज के दिल में घर कर गयी। इसके बाद 1967 में मनोज कुमार ने इसी विषय पर अपनी लाजवाब फ़िल्म उ’पकार’ बनाई जो बेहद सफल और यादगार साबित हुई। 

कैसे जन्मा चर्चित  फ़िल्म उपकार का विचार 

मनोज कुमार अक्सर देशभक्ति पर आधारित फिल्में बनाते और संयोगवश इन फिल्मों में उनका किरदार का नाम ज़्यादातर ‘भारत’ होता था। इसी वजह से लोग इन्हें प्यार से भारत कुमार कहने लगे।

कैसे पड़ा मनोज का नाम भारत कुमार 

बंटवारे के बाद मनोज कुमार मनोज कुमार को रिफ्यूजी कैंप में रहना पड़ा। वहां के हालात को लेकर वह काफी परेशान और नाराज हो गए । इसी बात पर उनकी रिफ्यूजी कैंप के डॉक्टरों और नर्सों के साथ झड़प हो गई और बात मारपीट तक पहुंच गई। इस गुस्सा दिखाने की वजह से उन्हें पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ी।

क्यूँ पड़े थे  पुलिस के डंडे 

शाहरुख खान की बहुचर्चित फिल्म ओम शांति ओम में एक दृश्य में मनोज कुमार की मजाक बनाई गई। इस बात से मनोज कुमार बहुत नाराज हो गए और उन्होंने शाहरुख खान और कोरियोग्राफर फराह खान पर मुकदमा दायर कर दिया।  देशवासियों ने इस सीन के खिलाफ काफी रोष दिखाया था और शाहरुख और फराह को मनोज कुमार से माफी भी मांगनी पड़ी थी।

शाहरुख़ ख़ान से टकराव  

1983 में में मनोज कुमार के बेटे कुणाल गोस्वामी ने ‘कलाकार’ नाम की फिल्म में श्रीदेवी के साथ काम किया। फिल्म का एक गीत जो की किशोर कुमार ने गया था ‘‘नीले नीले अंबर पर’ बहुत बड़ा हिट साबित हुआ। यूँ तो फिल्म काफ़ी सराही गई लेकिन हिट ना हो सकी। कुणाल का करीयर पिता जैसा ना चला।

बेटा कुणाल गोस्वामी और श्रीदेवी 

मनोज कुमार की छोटे भाई राजीव गोस्वामी की फिल्म पेंटर बाबू भी 1983 में रिलीज़ हुई थी फ़िल्म के गाने बहुत लोकप्रिय हुए थे ख़ास कर के ‘कब तलाक शमा जली याद नहीं’। इस फ़िल्म में राजीव के साथ  मीनाक्षी शेषाद्रि भी थीं। फ़िल्म भी ज़्यादा ना चली ना ही राजीव का करीयर। चर्चे यह भी थे कि मनोज कुमार के पिता के नाराज़ होने पर मनोज को इस फ़िल्म को मजबूरन बनाना पड़ा था।

मनोज कुमार के भाई राजीव की फ़िल्म 

मनोज के छोटे बेटे विशाल गोस्वामी को भी पिता मनोज ऐक्टर बनाना चाहते थे मगर क़िस्मत को कुछ और मंज़ूर था। विशाल एक ग़ज़ल गायक के रूप में प्रसिद्ध हुए। उनकी चर्चित अल्बम सुराही काफ़ी चर्चा में रही। सुराही की कामयाबी के बाद विशाल ना जाने कहाँ खो गए।

मनोज के गायक बेटे विशाल