Why Govinda refused to dance for Queen Elizabeth

Why Govinda refused to dance: गोविंदा के अभिनय और डांस का कौन दीवाना नहीं है। एक ज़माना ऐसा था की बड़े बड़े दिग्गज निर्देशक उनके साथ काम करना चाहते थे लेकिन गोविंदा बहुत बिज़ी थे। उनके चाहने वाले निर्देशकों में से एक तिग्मांशु धुलिया भी गोविंदा के साथ एक फ़िल्म बनानी  शुरू की थी।

तिग्मांशु धूलिया ने गोविंदा के साथ ‘कॉन फ्लिक’ नाम की एस कॉमेडी फ़िल्म का का निर्देशन 2015  में आरम्भ किया। ग़ौर तलब रहे कि इस फ़िल्म की ज्यादातर शूटिंग लंदन में होनी  निश्चित हुई थी। गोविंद के प्रशंसक निर्देशक तिग्मांशु सबसे ज्यादा उत्साहित थे। तभी अचानक गोविंदा इस प्रोजेक्ट से बाहर हो गए। कारण था महारानी एलिजाबेथ द्वितीय। चौंक गए ना? आयिए पूरी बात जानें

पूरी बात विस्तार से पढ़ें – Why Govinda refused to dance for Queen Elizabeth

आप पूरी बात सुनेंगे तो ताज्जुब में पड़ जाएंगे। जहाँ बॉलीवुड की दिग्गज से दिग्गज बड़े ऐक्टर आज कल छोटे मोटे बिज़नेस मैन के बच्चों की शादियों में पैसे के लिए नाचते फिरते हैं, वहीं गोविंदा ने ऐसा फ़ैसला लिया कि सब हैरान हो गए। इस बात की पूर्ण पुष्टि नहीं है, लेकिन सूत्रों से यह बात पता चली है कि ऐसा लगता है कि गोविंदा ने रानी एलिज़ाबेथ के लिए बकिंघम पैलेस में नृत्य करने से इनकार कर दिया था।

अब इस बात को विस्तार से समझें। लंदन में सेट किए गए इस कॉन केपर फ़िल्म में एक ऐसी स्थिति थी जहां गोविंदा और रिमि सेन बकिंघम पैलेस में घुस जाते हैं और उन्हें रानी के सामने नृत्य करना होता है।

क्यूँ किया गोविंद ने महारानी एलिज़ाबेथ के सामने नाचने से इनकार – Govinda refused to dance

जब गोविंदा ने इस बारे में सुना तो उन्होंने साफ़ इनकार कर दिया। उन्होंने कोई तर्क देने से इनकार कर दिया और कहा कि “मैं भारत में संसद का सदस्य हूँ। मैं रानी के सामने कैसे नाच सकता हूँ?” धूलिया ने गोविंदा को समझाने की पूरी कोशिश की कि यह सब मजे के लिए है और उन्हें असली रानी नहीं बल्कि उनकी डूप्लिकेट के आगे नाचना है। लेकिन गोविंदा अड़े थे। शायद सीन फ़िल्म के लिए बहुत जरूरी था इसलिए फ़िल्म को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा।

देश के आत्म सम्मान की बात थी की कुछ और

बाद में गोविंदा के पास फिल्मों का अकाल पड़ गया तो तो इंडस्ट्री के कई लोगों ने ये भी कहा की ये गोविंदा की ईगो यानी कि अहंकार के रहते इस फ़िल्म छोड़ दिया। हालंकि उनके ज़्यादातर प्रशंसकों ने उनके इस फ़ैसले की सराहना करी और इसी भारत के आत्मसम्मान से जोड़ा। आज इतने वर्ष बीत जाने के बाद अगर हम सोचे तो यह छोटी सी बात लगेगी लेकिन हो ना हो कोई बड़ा कारण रहा होगा, कि गोविंदा ने ऐसा फैसला लिया। आपकी क्या निजी राय हैं, हमें ज़रूर लिखें।

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