Amitabh Bachchan Facts about Don Film: यू तो अभिनेता अमिताभ बच्चन ने एक से बढ़कर एक फ़िल्में दी हैं और ग़ज़ब के चरित्र पर्दे पर निभाए हैं, लेकिन इन सब चरित्रों में से 1978 के डॉन का रोल दशकों बाद भी हमें याद है। आप हैरान हो जाएंगे अगर हम आपसे यह कहें कि अमिताभ बच्चन नहीं थे डॉन किरदार के लिए पहली पसंद। Amitabh Bachchan Wasn’t The First Choice For ‘Don’
बॉलीवुड का आज तक का सबसे बिंदास चरित्र है डॉन – Amitabh’s Character in Don
आज तक, जब आप किसी बिंदास बॉलीवुड चरित्र के बारे में सोचते हैं, तो डॉन उन कुछ किरदारों में से एक है जो तुरंत सामने आता हैं। यही नहीं आप तुरंत अपने मन में “अरे दीवानों, मुझे पहचानो, कहा से आया, मैं हूं कौन” गाने लगते हैं। कुछ जादू किशोर दाँ और कल्याण जी आनंद जी का भी ज़रूर था, मगर बच्चन ने सचमुच डॉन में दर्शकों के बंद अकल का ताला खोल दिया था।
अमिताभ अलावा कोई डॉन बन सकता है भला?
अब कल्पना कीजिए, अगर बिग बी ने यह भूमिका नहीं निभाई होती, तो डॉन कैसा दिखता? शायद कोई भी उतना ना सूट करता ना ही उतना जँचता। यह बात अलग है की शाहरुख खान डॉन की भूमिका को भुनाने की कोशिश करी और कुछ हद तक सफल भी हुए। लेकिन अमिताभ बच्चन की के किरदार के सामने शाहरुख ख़ान भी नहीं टिके। फरहान अख़्तर द्वारा निर्देशित शाह रुख खान द्वारा अभिनीत फ़िल्म डॉन, चंद्र बरोट की ओरिजिनल डॉन के आसपास भी नहीं थी।
बात अजीब है, मगर यह थे डॉन के लिए पहली पसंद
लेकिन अब जो हम बात आपको बताएंगे वो अजीब तो लगेंगी बगैर सच है। इस बात का जिक्र कई पुराने इंटरव्यूस और पुरानी फ़िल्म मैगज़ीन में मिलता है कि अमिताभ बच्चन इस भूमिका के लिए पहली पसंद नहीं थे। एक पुराने साक्षात्कार में, फिल्म के निर्देशक, चंद्र बरोट ने खुलासा किया कि फिल्म वास्तव में पहले देव आनंद को मद्देनज़र रखते हुए सोची गयी थी।
देव आनंद के साथ बात ना बनी तो जीतेंद्र को इसके लिए चुना गया। लेकिन क़िस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। जितेंद्र के बाद डॉन यहां सूपरस्टार धर्मेंद्र को भी पेश की गई। लेकिन तीनों ने इसे अस्वीकार कर दिया और फ़िल्म अधर में लटक गयी।
क़िस्मत को था कुछ और ही मंज़ूर
दिलचस्प बात यह है कि फिल्म का बहुत लंबे समय तक कोई शीर्षक भी नहीं था और बिग बी की गोद में आने तक इसे ‘डॉन वाली स्क्रिप्ट’ कहा जाता था। उन्होंने अंततः इस भूमिका को इतने ज़बरदस्त अन्दाज़ से निभाया, कि पूरा बॉलीवुड हिल गया। बच्चन ने इस भूमिका के लिए उस वर्ष सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी जीता। दरसल बच्चन ने किरदार में जान डालने के लिए बहुत परिश्रम किया होगा। ऊपर से इस फ़िल्म का गीत-संगीत, ज़ीनत अमान, इफ़तेकार, प्राण, हेलेन की यादगार भूमिकाएँ और चंद्र बरोट का मंझा हुआ निर्देशन। इन सबका जादू सन 1978 को हिंदी फ़िल्म जगत का स्मरणीय वर्ष बना देता है।
शायद बच्चन भी नहीं दोहरा सकते ऐसा करिश्माई किरदार – Amitabh Bachchan Facts
सुना है कि डॉन एक बार फिर बनाई जाएगी। इस बार दोनो डॉन यानी अमिताभ बच्चन और साथ में शाहरुख़, दोनो ही इस फ़िल्म में नज़र आएँगे। मगर क्या ऐसा जादू दोबारा हो सकता है। हमारी नज़र में ऐसे करिश्में रोज़ रोज़ नहीं घटते। ऐसा डबल रोल वाला किरदार शायद अमिताभ भी दोबारा ना निभा पाएँ। बस, इतना समझ लीजिए कुछ चीज़ें सिर्फ़ क़िस्मत के हाथ में होती हैं। डॉन इसका जीता जागता उदाहरण है।
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