Why was Tarak Mehta Dr Hathi Insecure? अपनी हंसमुख अदा से सभी के चहेते बनने वाले लोकप्रिय टीवी सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा के दमदार किरदार डॉ. हंसराज हाथी यानी कवि कुमार आजाद का वजन पहले काफी ज़्यादा था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पहले वे 254 किलो वजन के थे। अत्यधिक बढ़ते वजन से उन्हें चलने-फिरने में काफी परेशानी भी होती थी। इसके बावजूद वो अपना वजन कम नहीं करना चाहते थे। आख़िर वजन कम ना करने के पीछे क्या था कारण, आइए जानते हैं विस्तार से।
मोटापे से ही उम्मीद थी काम मिलने की
क्योंकि उन्हें अपने मोटापे की वजह से ही जनता के बीच लोकप्रिय बने रहने की उम्मीद थी। लेकिन जब उनका मोटापा जी का जंजाल बनने लगा तो तब उन्होंने काम न मिलने के डर के बावजूद अक्टूबर साल 2010 में पेट की सर्जरी करवाकर अपना वजन लगभग 80 किलो कम कर लिया था। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डॉक्टर हाथी की सर्जरी का खर्च वहन फिल्म अभिनेता सलमान खान ने उठाया था।
दूसरी बार सर्जरी नहीं करवाना पड़ा भारी
एक बार सर्जरी करवाने के बाद भी उनकी तकलीफ़ें दूर नहीं हो पा रहीं थीं। मीडिया के अनुसार दूसरी बार सर्जरी की भी कवि कुमार आज़ाद को सलाह दी गई थी। लेकिन उन्होंने नहीं कराई। चिकित्सकों की चेतावनी के बावजूद कवि कुमार आजाद अपनी सर्जरी न करवाकर अपने जीवन को खतरे में डाल रहे थे। कवि कुमार आज़ाद अक्सर अपना वजन कम करने से कतराते थे क्योंकि उन्हें आशंका थी कि कहीं जनता के बीच उनकी लोकप्रियता वजन कम करने से कम न हो जाए और वे फिर से बिना काम के यानी नक्कारा साबित न हो जाएं।
डॉक्टर हाथी का बिहार से था नाता – Which state did Dr Hathi belong to?
आइए डॉक्टर हाथी के जीवन को क़रीब से जाने। 1972 में बिहार के सासाराम शहर में कवि कुमार आज़ाद जी का जन्म हुआ था। बचपन से ही कुछ अलग करने की ख्वाहिश रखने वाले कवि कुमार आज़ाद स्नातक की पढ़ाई पूरी होते ही अपने घरवालों को बिना बताए मुंबई आ गए। उन्हें लगता था कि वो कविताएं लिखते हैं और एक्टिंग भी कर सकते हैं। उनको अपनी इस कला पर अटूट विश्वास जो था। अपनी इसी कला एवं सालों तक की गई मेहनत ने कवि कुमार आजाद को आखिरकार अच्छा नतीजा दिया और तारक मेहता शो से इन्हें देशव्यापी प्रसिद्धी मिली।
भागे थे अपने घर से
1994 में आज से करीब तीस साल पहले कवि कुमार आज़ाद उर्फ डॉक्टर हाथी बिहार के सासाराम स्थित अपने घर से भागकर मुंबई गए। आंखों में हर आदमी की तरह डॉक्टर हाथी भी बड़े-बड़े ख्वाब सजाए बैठे थे। अपने ख्वाब को पूरा करने के लिए हर किसी की तरह उनको भी बहुत ज्यादा संघर्ष करना पड़ा। शुरुआत में काफी मशक्कत के बाद छोटे-छोटे विज्ञापनों में उनको काम मिलना शुरू हुआ। ऐसे ही एक विज्ञापन में कवि कुमार आज़ाद ने राजकुमार हिरानी के साथ भी काम किया।
धीरे धीरे फिल्में भी मिलने लगी
कवि कुमार आज़ाद को धीरे फिल्मों में भी छोटे-छोटे रोल मिलने लगे। जोधा अकबर और फंटूश में उन्होंने अच्छा काम किया। कवि कुमार आजाद (Kavi Kumar Azad alias Dr Hathi ) ने साल 2000 में आई आमिर खान की फिल्म ‘मेला’ में भी काम किया था।फिल्मों के साथ-साथ टीवी सीरियल्स में भी कवि कुमार आज़ाद ने छोटे-मोटे रोल निभाने लगे। उनको असली पहचान छोटे पर्दे से ही मिली।
इसी दौरान उन्हें तारक मेहता का उल्टा चश्मा में डॉ हाथी का रोल मिला। इस तरह धीरे धीरे जब तारक मेहता का उल्टा चश्मा शो हिट होना शुरू हुआ तभी डॉक्टर हाथी के जीवन की सारी परेशानियों का अंत हुआ। डॉक्टर हाथी के किरदार को जोरदार लोकप्रियता मिली और सारा ज़माना उनकी क्यूट पर्सनालिटी और अभिनय को पसंद करने लगा।
डॉक्टर हाथी घर घर में हुए लोकप्रिय
तारक मेहता का उल्टा चश्मा में डॉक्टर हाथी का किरदार कवि कुमार आज़ाद जी ने बहुत ही तन्मयता से निभाया। सीरियल के अन्य चरित्रों के साथ साथ डॉक्टर हाथी के चरित्र को भी खूब पसंद किया गया। वक्त ऐसा भी था कि कभी कवि कुमार आजाद को मुंबई में किराए के घर की पैसे देने के लाले पड़ते थे और बाद में तारक मेहता शो से इनके पास अपना खुद का घर, गाड़ी और गाड़ी चलाने के लिए ड्राइवर का भी इंतजाम हो गया। यही वक्त का खेल है जो सभी को समझ नहीं आता।
मौत की मुख्य वजह – Dr Hathi Death Reason
डॉ. हंसराज हाथी यानी कवि कुमार आजाद का निधन कार्डिएक अरेस्ट की वजह से हुआ। साल 2018 सिर्फ 46 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था।दरअसल शारीरिक दिक्कतों के बाद जिस अस्पताल में कवि कुमार आजाद को भर्ती किया गया था, वहां के हेड रवि हिरावनी ने उनकी मौत के बाद ये कहा था कि अगर छोटी सी लापरवाही नहीं होती, तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। हुआ यह कि डॉ हाथी को जिस वक्त अस्पताल में लाया गया उस वक्त उनकी धड़कनें सुनाई नहीं दे रही थी इसलिए फौरन उन्हें इमर्जेंसी में ले जाया गया और उन्हें सीपीआर देने की कोशिश की गई।
मीडिया रिपोर्ट्स और डॉक्टर्स के मुताबिक, तब उनकी ईसीजी बिल्कुल फ्लैट थी और तभी उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। डॉक्टर ने कहा था कि उनके निधन से कुछ दो-तीन दिनों पहले से ही उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, जिसका इलाज वो पास के किसी लोकल अस्पताल में करा रहे थे। अगर उसी समय वह अच्छे अस्पताल में अपना इलाज करवा लेते तो आज वो हमारे साथ होते।
काम न मिलने के डर से अपने मोटापा से लगाव रखने वाले कवि कुमार आजाद के लिए आखिरकार उनका मोटापा ही जानलेवा साबित हुआ। फिर भी अपनी लगन और प्रसिद्घ के लिए उन्होंने जो भी किया वह दूसरों के लिए बिल्कुल प्रेरणादायक हो सकता है।
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