Yeh Zulf Agar Khul ke Song Story: मोहम्मद रफी ना सिर्फ इतनी दरियादिली के लिए मशहूर थे बल्कि इस बात के लिए भी उन्हें जाना चाहता था कि अगर कोई किसी तकलीफ़ में है या असमंजस में है तो रफ़ी उसकी दद करने का पूरा प्रयास करते थे।एक ऐसी ही घटना रफी साहब और प्रसिद्ध संगीतकार रवि जी के बीच में भी घाटी। एक फिल्म के लिए संगीत तैयार करते वक्त रवि क्यों असमंजस में पड़ गए थे और मोहम्मद रफी ने कैसे मदद करके ना सिर्फ उनकी उलझन सुलझाई बल्कि रवि जी की मनोदशा से उन्हें निकला, यह लेख इसी विषय पर है।
दौर जब साहिर की कलम और रवि के संगीत के दीवाने थे लोग
यह बात सन् 1965 की है। वो संगीतकार रवि जी के करियर का एक सुनहरा दौर था। जिस फिल्म में रवि जी संगीत देते ना सिर्फ संगीत कामयाब होता है वह फिल्म भी कामयाब होती। इसी दौर में साहिर लुधियानवी की कलम का जादू भी सर चढ़कर बोल रहा था। उनका लिखा लगभग हर गीत लोगों को ज़ुबानी याद हो जाता था और सारे ज़माने को दीवाना बना देता था।
जिस घटना के बारे में हम बात कर रहे हैं उसका 1965 की जानी मानी फिल्म ‘काजल’ से संबंध है। काजल के निर्देशन की कमान संभाली थी उसे जमाने के नाम ही निर्देश राम माहेश्वरी ने। फिल्म की फिल्म की स्टार कास्ट बहुत बड़ी थी और एक से बढ़कर एक कलाकार इसमें रोल निभा रहे थे।ज़रा सितारों के नामों पर नज़र डालिये।
जिस फ़िल्म में राज कुमार, मीना कुमारी, धर्मेंद्र, महमूद, पद्मिनी, मुमताज़, दुर्गा खोटे व हेलन जैसे कलाकार अहम भूमिकाओं में हो तो तो आप सोच ही सकते हैं कि दर्शकों की उस फ़िल्म से क्या अपेक्षा रही होगी। ‘काजल’ फ़िल्म की कहानी अद्भुत थी और प्रसिद्ध लेखक गुलशन नंदा जी के उपन्यास ‘माधवी’ पर आधारित थी। साहित्य तो होना लाज़मी ही था और यह फ़िल्म उस साल की सुपरहिट फिल्मों में से एक थी।
आख़िर रफ़ी ने रवि से क्यों कहा “आप सिर्फ धुन बनाइए, बाकि सब मैं देख लूंगा।”
जब यह फ़िल्म बन रही थी तो चर्चाओं में थी। फिल्मी गलियारों में इस बात के ख़ूब चर्चे थे कि किसी गीत के लिए रफ़ी साहब ने रवि जी से कहा था “आप सिर्फ धुन बनाइए। बाकि सब मैं देख लूंगा।” आख़िर माजरा क्या था? दरअसल रफ़ी साहब ने रवि जी से ये बात तब कही थी जब रवि जी साहिर लुधियानवी के लिखे एक गीत को लेकर असमंजस में पड़ गए थे।
साहिर एक तिलस्मी गीतकार थे। अपने गीतों को लिखने के लिए बहुत मेहनत करते थे। साहिर की खासियत थी कि अधिकतर समय वो फिल्म की कहानी को अच्छे ढंग से पढ़कर उसके मुताबिक ही कोई गीत लिखा करते थे।यानी situation को समझ कर, अभिनेताओं की कहानी में किसी वक़्त क्या मनोदशा है, इसे समझते हुए गीत लिखते थे।
कौन सा था वो गीत जिसने संगीतकार रवि को असमंजस में डाल दिया
साहिर ने काजल के सभी गीत लिखे थ। इस फ़िल्म के लिए साहिर साहब ने कुल बारह गीत लिखे थे। रवि जी को किसी भी गीत का संगीत और धुन बनाने में भी में कोई दिक्कत नहीं आई। लेकिन एक गीत ऐसा था जिसके बोल थे ‘ये ज़ुल्फ अगर खुलके बिखर जाए तो अच्छा’। बस यही वो गीत था जिसने रवि जी को असमंजस में डाल दिया।
ना जाने क्यों रवि जी को इस गीत को पढ़कर कुछ कमी सी लग रही थी। गेट में एक अजीबो गरीब एक्सपेरिमेंट किया गया था। इस गीत में 17 दफा ‘अच्छा’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था। यह ‘अच्छा’ शब्द जब 17 दफा जब गीत में इस्तेमाल किया गया तो रवि जी को ‘अच्छा’ ही बुरा लगने लगा।
साहिर लुधियानवी ने बोल बदलने से कर दिया इनकार
रवि जी ने साहिर से गुज़ारिश करी कि आप या तो ‘अच्छा’ शब्द को कहीं-कहीं बदल दीजिए या उसे ‘अच्छा है’ कर दीजिए। मुमकिन है कि रवि जी की लय ताल और संगीत बनाने के टेम्पो में ‘अच्छा’ शब्द फिट नहीं आ रहा था। लेकिन साहिर लुधियानवी ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। उनका मानना था कि अगर इस गीत ( Yeh Zulf Agar Khul ke Song) में रवि जी के मुताबिक अगर ‘अच्छा’ शब्द में कुछ भी फेर बदली करी गई तो उस से गीत का भाव बदल ख़त्म हो जाएगा। अब साहिर लुधियानवी जी की बात को कौन टाल सकता था।
फिर रफ़ी साहब ने क्या जादू करा कि रवि जी की उलझन सुलझ गई
साहिर के मना करने पर, अपनी उलझन लेकर रवि जी रफी साहब के पास पहुंचे। उन्होंने विस्तार से रफी साहब को पूरा माजरा समझाया। रफी साहब ने रवि जी से कहा कि ‘आप धुन बनाइए। बाकि मैं देख लूंगा।’ और हुआ भी कुछ ऐसा ही। शायद इसीलिए रफी साहब का नाम दुनिया के महानतम गायकों में लिया जाता है। वह अपनी पुरज़ोर आवाज़, रियाज़ और गायिकी से किसी भी गीत को उस मुक़ाम तक पहुँचा सकने की क़ाबिलियत रखते थे जिसका अंदाज़ा भी लगाना भी मुश्किल हो।
इस गीत ( Yeh Zulf Agar Khul ke Song Story) के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। रफी साहब तो रफी साहब ठहरे जनाब। गायकी के सबसे बड़े उस्ताद मगर सबसे विनयशील। जब रवि साहब ने धुन कंप्लीट कर ली और रिकॉर्डिंग की बारी आई तो रफी साहब ने गीत में मौजूद ‘अच्छा’ शब्द को 17 अलग-अलग स्टाइल में गाया। यूट्यूब पर है ये गीत और नीचे लिंक भी। आप भी इस लाजवाब गीत को ज़रूर सुनिएगा। यह गीत रफ़ी साहब ने इतना दिल से अपनी लाजवाब आवाज़ में गया है कि गीत फिल्म की एक सबसे बड़ी हाईलाइट बन गया।
यूं तो यह गीत रफी साहब के तमाम हिट गीतों की फेहरिस्त में शामिल हो गया लेकिन यह एक अनूठा जादुई गीत है और उसके बनने की कहानी भी उतनी ही निराली। रवि साहब उस दिन फिर से रफी साहब की गायकी के कायल हो गए। ये गीत हेलन जी और मूडी मगर कमाल के अभिनेता राजकुमार जी पर फ़िल्माया गया है। आशा करते हैं आपको यह गीत और इस से जुड़ी जानकारी पसंद आई होगी।
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