Living Kumbhkaran of India: हमारे देश में राजस्थान के नागौर के परबतसर तहसील में एक छोटा सा गांव भादवा में पुरखाराम हैं जो साल के 300 दिन सोते हैं।कुंभकरण तो छ: महीने सोता था।लेकिन यह शख्स कुंभकरण से ज्यादा सोता है। तभी तो हम इसको कुंभकर्ण का बाप कह सकते हैं।एक आम मानव होने के नाते हमें यह जानकर आश्चर्य हो रहा है लेकिन आज के भागमभाग भरे इस युग में बिना बीमारी के कोई भी इतना लंबी अवधि तक नहीं सो पाएगा। पुरखाराम हाइपरसोन्मिया रोग बीमारी से ग्रस्त है। तभी वह हमेशा चलते रहने वाले इस आधुनिक युग में साल में 300 दिनों तक सोता रहता है।
पुरखाराम हाइपरसोम्निया बीमारी का शिकार
ऐसा सभी ने सुना होगा कि रामायण काल में कुंभकरण को श्राप की वजह से छ: महीने नींद लगातार आती थी। कहते है कि हर काम की अति हमेशा नुकसानदायक होती है। लेकिन पुरखाराम हाइपरसोम्निया बीमारी का शिकार होकर नींद की अति से भी अति का नज़ारा पेश कर रहे हैं। इस बीमारी के कारण उन्हें नींद तो बहुत ज्यादा आती है साथ ही नींद आने पर यह भी पता नहीं चल पाता है कि वह कितने दिनों से लगातार सो रहा है।
आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं से बंध रही है उम्मीद
जब पुरखाराम सबसे पहले इस बीमारी से ग्रसित हुआ तो लगातर 25 दिन तक सोता रहता था। और अब हालत यह है कि नींद में ही उसे घरवालों के द्वारा रोटी खिलाई जाती है और दैनिक नित्याक्रम के कार्य भी करवाए जाते हैं। लेकिन अब आधुनिक डॉक्टरों के इस युग में पिछले छ: महीनों से पुरखाराम की इस अनोखी बीमारी में सुधार हुआ है।
पुरखाराम कहता है कि पहले जब बीमारी से ग्रसित हुआ तो 25 दिन सोने पर भी पता नहीं चलता था। लेकिन अब तबियत में सुधार हो रहा है कि अब दो से तीन दिन तक ही नींद आती है और बीच में कई बार नींद से उठ भी जाता हूं।अभी कुछ ज़्यादा स्पष्ट नहीं है कि यह बीमारी ठीक होगी कि नहीं, लेकिन आधुनिक स्वास्थ्य तकनीकों से काफी उम्मीद है कि शायद पुरखाराम दोबारा से ठीक हो जाए।
पुरखाराम के परिवार और पत्नी का उल्लेखनीय धैर्य
परिवार के अनुसार लगभग 23 सााल पहले पुरखाराम को एक्सिस हायपरसोम्निया नाम की बीमारी हो गई थी। पुरखाराम के परिजनों की सदैव कोशिश के बाद भी कभी कभी लाभी उनकी नींद सिर्फ़ 5 मिनट के लिए खुलती है। उनके परिवारजनों की अगर माने तो वह बहुत बार 20 से 25 दिन तक लगातार सोते रहते हैं। कोशिश करने पर भी उनकी नींद खुलती ही नहीं है।
ऐसे में यकीनन पुरखाराम की पत्नी लिछमा देवी की ज़िंदगी भी आसान तो नहीं है। उनके अनुसार बीमारी की शुरूआत में वह 5 से 7 दिन तक सोते थे, लेकिन धीरे धीरे यह समय सीमा बढ़ती गई। अब महीने में 20 से 25 दिन तक वे सोते हैं। लिछमा देवी यह भी बताती हैं कि बहुत बार पुरखाराम जो ज़बरदस्ती जगाकर उन्हे कुर्सी पर बिठाया भी जाता है लेकिन अपनी बीमारी के रहते वह बैठे-बैठे ही सो जाते हैं। लिछमा देवी पर रोज़ क्या गुजरती होगी इसका हम अनुमान लगा सकते हैं, लेकिन साथ साथ उनके साहस परिश्रम और धैर्य से हम प्रेरणा भी ले सकते हैं।
अब लंबी नींद से पहले ही सरदर्द होने लगता है
पुरखाराम अब कहता है कि उसको लंबी नींद की बीमारी के बारे में पहले ही मालूम पड़ जाता है। एक दिन पहले ही सिर दर्द होने लगता है। सोने के बाद उन्हें उठाना नामुमकिन हो जाता है। परिजन उन्हें नींद में ही खाना खिलाते हैं। अभी तक पुरखाराम की नींद का कोई इलाज नहीं मिला है। लेकिन उसकी मां कंवरी देवी और पत्नी लिछमी देवी को उम्मीद है कि वह जल्द ही ठीक हो जाएंगे और पहले की तरह अपनी जिंदगी जीने लगेंगे।
नींद की बीमारी से ग्रसित फिर भी करते काम
पुरखाराम नींद की बीमारी से ग्रसित होने के बावजूद भी एक किराना दुकान चलाते हैं। जिसकी वजह से उनके परिवार का घर खर्च चलता है। जिस दिन नींद ज्यादा आती है तो दुकान बंद रहती है। पुरखाराम की वर्तमान स्थिति काफी अच्छी है। यहां, तक कि पुरखाराम को जब दो से तीन दिन तक नींद लगातार आती है तो बीच में एक घंटे नींद खुल भी जाती है। जिसमें नहाना, खाना व दैनिक नित्याक्रम करके वह पुन: सो जाता है।
धार्मिक देश में ये किस बुरे कर्मों का फल है
हमारे धार्मिक देश भारत में कुछ बीमारियों को लोग आदमी के पुराने जन्मों के कर्मों का हिसाब मानते हैं। हमारे धार्मिक देश में पुरखाराम जो बीमारी से ग्रस्त है जिसमें वह काफी देर तक लंबी अवधि में 300 दिनों तक सोते रहते हैं तो यह बीमारी पुरखाराम के किस पाप का भाग या हिसाब हो सकता है इसे समझना मुश्किल है। फिर भी अपने धार्मिक देश में जहां पुराने जन्म के कर्मों को वर्तमान के दुख दर्द का परिणाम माना जाता है तो पुरखाराम ऐसा कौन सा बुरा या अच्छा कर्म किया है जो वह इस जन्म में आरामदायक बीमारी का सुख या दुःख भोग रहा है।
पुरखाराम (Living Kumbhkaran of India) की हालत देख कुंभकर्ण से होती है सहानुभूति
पुरखाराम की उम्र कितनी लंबी रहेगी और आगे कितने समय तक जीवित रहेगा यह भी अभी निश्चित नहीं है। लेकिन ऐसी धार्मिक मान्यता के बीच पुरखाराम आराम से अपने जीवन में बीमारी को जीते हुए लंबी-लंबी नींद ले रहे हैं। उम्मीद और प्रार्थना रहेगी कि पुरखाराम को भी आम इंसानों की तरह जीवन में कुछ आराम मिले। पुरखाराम की हालत देख कर कभी कभी लगता है कि रामायण युग के कुंभकर्ण भी कहीं हाइपरसोम्निया बीमारी से ग्रस्त तो नहीं थे।
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