Why no reverse gear in aeroplanes

Why no reverse gear in aeroplanes? : हवाई अड्डे पर जब भी हम विमान को पीछे एक पुशबैक टैग से धकेलते देखते हैं, तो यह सवाल मन में जरूर आता है कि इतने महंगे विमानों में रिवर्स गियर क्यों नहीं होता बल्कि एक छोटी और सस्ती सी कार में होता है।

हवाई अड्डे पर जब भी हम विमान को पीछे एक पुशबैक टैग से धकेलते देखते हैं, तो यह सवाल मन में जरूर आता है कि इतने महंगे विमानों में रिवर्स गियर क्यों नहीं होता(no reverse gear in aeroplanes) बल्कि एक छोटी और सस्ती सी कार में होता है। सच यह है कि हवा में तेज़ गति से आगे बढ़ने के लिए डिज़ाइन किए गए विमान को पीछे ले जाना उतना आसान नहीं है जितना कार को पीछे घुमा देना। कल्पना करें कि किसी भीड़-भाड़ वाले गेट से 400 टन भारी विमान को बिना रियर-व्यू मिरर के वापस ले जाना है। ऐसे में पुशबैक टैग एक सुरक्षित और नियंत्रित विकल्प बनता है। आइए इस प्रक्रिया को आसान भाषा में समझें।

reverse gear in aeroplanes
How do planes reverse?

1. कार इंजन vs विमान इंजन: ‘रिवर्स गियर’ का 

कारों में इंजन गियरबॉक्स (ट्रांसमिशन) से जुड़ा होता है, जो इंजन की शक्ति को पहियों तक पहुंचाकर आगे या पीछे (रिवर्स) चलने में मदद करता है। लेकिन जहाज़ों में ऐसा नहीं होता। यात्री विमान के इंजन (जैसे टर्बोफैन इंजन) का काम सीधे बड़ी मात्रा में हवा को पीछे की ओर धकेलना होता है, जिससे न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार विमान आगे की ओर बढ़ता है। इन इंजनों में कोई गियरबॉक्स नहीं होता और विमान के पहिए इंजन से जुड़े नहीं होते; वे केवल घूमने, मोड़ने और ब्रेक लगाने में सहायक होते हैं। इसलिए पारंपरिक ‘रिवर्स गियर’ का विचार विमानों पर सीधे लागू नहीं होता।

2. थ्रस्ट रिवर्सल: विमान कैसे पीछे जा सकते हैं?

वास्तव में, विमानों में रिवर्स थ्रस्ट की सुविधा होती है, जो इनके इंजनों द्वारा उत्पन्न जोर की दिशा को अस्थायी रूप से उलट देती है। इस प्रक्रिया से विमान को धीमा करना या यदि ज़रूरत हो तो पीछे धकेलना संभव होता है। दो मुख्य तरीके हैं:

  • जेट इंजन (टर्बोफैन) वाले विमान: इन इंजनों के पीछे लगे विशेष क्लैमशेल दरवाजे या टारगेट बकेट खुले लगते हैं। ये दरवाजे इंजन से निकलने वाली गर्म गैसों के प्रवाह को ब्लॉक कर देते हैं और उसे सामने की ओर मोड़ देते हैं। इस उल्टी दिशा से हवा का जोर विमान को पीछे की ओर धकेलता है। (याद रहे कि इंजन खुद उल्टी दिशा में नहीं घूमता; केवल गैसों की दिशा बदलती है।)
  • प्रोपेलर (टर्बोप्रॉप) वाले विमान: इन विमानों में प्रोपेलर के ब्लेड का कोण (पिच) पलट दिया जाता है। सामान्य उड़ान में ये ब्लेड हवा को पीछे फेंकते हैं, पर रिवर्स के लिए इनके ब्लेड हवा को आगे की ओर धकेलने लगते हैं, जिससे विमान पीछे की ओर खिसकता है।

3. पुशबैक के लिए रिवर्स थ्रस्ट क्यों नहीं?

हालांकि थ्रस्ट रिवर्सल की सुविधा होती है, फिर भी हवाई अड्डे के गेट से स्वयं रिवर्स थ्रस्ट से पीछे जाना व्यवहार में मुश्किल और अव्यवहारिक है। इसके पीछे कई कारण हैं:

  • सुरक्षा (Jet Blast खतरा): रिवर्स थ्रस्ट के लिए इंजन को बेहद उच्च शक्ति पर चलाया जाता है। इससे इंजन से निकली तेज़ और गर्म हवा (जेट ब्लास्ट) विमान के सामने की ओर फूँकी जाती है। ऐसी हवा कांच की खिड़कियाँ तोड़ सकती है, वज़नदार सामान उड़ा सकती है, और हवाईअड्डे पर खड़े कर्मचारियों या यात्रियों को गम्भीर चोट पहुँचा सकती है। एक बार रिवर्स थ्रस्ट की वजह से 200 फीट दूर तक जेट ब्लास्ट ने बस की खिड़कियाँ तोड़ दी थीं। इसीलिए रिवर्स थ्रस्ट केवल उस निश्चित क्षेत्र (ब्रेक-अवे एरिया) में ही लगाया जाता है जहाँ आसपास कोई नहीं होता।
  • फॉरेन ऑब्जेक्ट डेब्री (FOD) का ख़तरा: ज़मीन के नज़दीक रिवर्स थ्रस्ट लगाने पर ज़मीन पर पड़ा कोई भी छोटा मलबा (छोटा पत्थर, स्क्रू-बोल्ट, कचरा आदि) घूमती हवा के साथ उड़कर इंजन में फँस सकता है। इंजन के ब्लेड से टकरा कर यह मलबा इंजन को घातक क्षति पहुंचा सकता है। इसलिए अक्सर कहा जाता है कि छोटे से छोटा मलबा भी करोड़ों का नुकसान कर सकता है। यह जोखिम भी एक बड़ी वजह है कि विमान पुशबैक टैग से ही बाहर निकाले जाते हैं।
  • ईंधन की बर्बादी: विमानों के विशाल इंजन ज़मीन पर उच्च शक्ति पर चलाने में बहुत अधिक ईंधन खर्च होता है। उदाहरण के लिए, एक बड़े विमान को टैक्सी कराने में लाखों लीटर ईंधन लगता है। पुशबैक टैग (जो डीज़ल या बिजली से चलता है) की तुलना में इंजन चलाकर चलना बेहद महंगा पड़ता है। इसके अलावा, विमानन उद्योग में ईंधन ही सबसे बड़ा खर्च होता है, इसलिए इसे बचाना बहुत ज़रूरी है।
  • ध्वनि प्रदूषण: इंजन को रिवर्स थ्रस्ट के लिए ऊँची शक्ति पर चलाने से अगाध शोर होता है (बहुत तेज गड़गड़ाहट या सायरन जैसी आवाज़)। यह हवाईअड्डे के टर्मिनल और आसपास के क्षेत्रों में असहनीय शोर पैदा करता है, जो यात्रियों और कर्मियों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है। गेट के पास इतनी तेज़ आवाज़ की अनुमति हवाई अड्डे के नियमों के तहत संभव नहीं होती।
  • इंजन पर अतिरिक्त दबाव और रखरखाव: रिवर्स थ्रस्ट सिस्टम (क्लैमशेल दरवाजे, एक्चुएटर्स आदि) को बार-बार इस्तेमाल करने पर इनके पुर्जों पर अधिक दबाव पड़ता है। इससे उनकी उम्र घटती है और रखरखाव की लागत बढ़ जाती है। वास्तव में कई एयरलाइंस ने देखा है कि बार-बार पावरबैक (पुशबैक) करने से इंजन पर अतिरिक्त छालती असर होता है। इसी वजह से अधिकांश एयरलाइंस इसे सीमित रूप से ही प्रयोग में लाती हैं।
  • दृश्य और नियंत्रण की कमी: विमानों में पीछे देखने के लिए कोई शीशा या कैमरा नहीं होता। पायलट को अपने कैबिन से विमान के पीछे क्या हो रहा है दिखाई नहीं देता। अगर विमान को बिना टैग के पीछे घुमाना पड़े, तो चालक को बहुत मुश्किल होगी कि वह सुरक्षित रास्ता चुन पाए। इसके विपरीत, पुशबैक टैग का ड्राइवर विमान के चारों ओर देख सकता है और ग्राउंड क्रू मार्गदर्शन दे सकता है। अनुभवी पायलट कहते हैं कि ‘विमानों के पीछे कोई रिवर्स मिरर नहीं होता, इसलिए बिना पुशबैक टैग के पीछे निकलना बहुत जोखिम भरा होता है’।

4. थ्रस्ट रिवर्सल का वास्तविक इस्तेमाल

जहां एक ओर रिवर्स थ्रस्ट को गेट से पीछे निकलने के लिए नापसंद किया जाता है, वहीं इसका मुख्य उपयोग लैंडिंग के बाद विमान की गति कम करने में होता है। जैसे ही विमान रनवे पर टचडाउन करता है, पायलट रिवर्स थ्रस्ट लगाकर विमान को तेज़ी से धीमा करते हैं। यह एयरब्रेक के समान काम करता है: पायलट स्पॉयलर खोलते हैं और रिवर्स थ्रस्ट लगाने पर विमान को अतिरिक्त ब्रेक मिलता है। इससे ब्रेकों पर लगने वाला दबाव कम होता है और रनवे पर धीरे- होने की दूरी घटती है। रिवर्स थ्रस्ट से लैंडिंग रोल (रनवे पर ठहरने की दूरी) लगभग 20-25% तक कम हो जाती है।

एक बार गति कम हो जाने पर पायलट रिवर्स थ्रस्ट बंद कर देते हैं ताकि आगे कोई मलबा इंजन में न जा सके। सामान्यतः लैंडिंग के बाद विमान को ब्रेक करके ही रोक लिया जाता है; रिवर्स थ्रस्ट तब बंद कर दिया जाता है।

5. पावरबैक

कई एयरलाइंस में, अगर पुशबैक टैग मौजूद न हो तो उड़ान-नियंत्रण नियम पावरबैक की इजाज़त देते हैं। पावरबैक का मतलब है विमान को अपने रिवर्स थ्रस्ट की मदद से पीछे चलाना। अतीत में कुछ विमानों (जैसे DC-9, Boeing 727) ने यह तरीका अपनाया था, खासकर उन दशकों में जब ईंधन महंगा नहीं था। हालांकि 2000 के बाद ईंधन की लागत बढ़ने और सुरक्षा कारणों से अधिकतर एयरलाइंस ने इसे बंद कर दिया। कभी-कभार वाणिज्यिक विमानों में पावरबैक केवल विशेष परिस्थितियों (जहां टैग उपलब्ध नहीं हो) में ही किया जाता है। महत्व की बात यह है कि सुरक्षा नियमों की वजह से इसे अधिकांश देशों में ‘गेट से पीछे जाने’ के रूप में अनुमति नहीं होती।

अंततः, विमानों में पारंपरिक रिवर्स गियर न होने का कारण (no reverse gear in aeroplanes) उनका बुनियादी डिज़ाइन है। वे रिवर्स थ्रस्ट के जरिये पीछे की ओर धकेले जा सकते हैं, लेकिन सुरक्षा, लागत, ईंधन बचत और व्यावहारिकता की वजह से यह प्रयोग केवल बेहद सीमित रूप में होता है। आमतौर पर, पुशबैक टैग का उपयोग ही एक सरल, सस्ता और नियंत्रणीय तरीका है, जो हवाई अड्डे की कार्यप्रणाली में “सुरक्षा पहले” के सिद्धांत को कायम रखता है।

अगली बार जब आप विमान को पुशबैक टैग से पीछे धकेलते देखेंगे, तो समझ जाइए कि यह कोई कमी नहीं, बल्कि विमानन इंजीनियरिंग द्वारा दशकों से परखा हुआ एक स्मार्ट समाधान है जो यात्रियों और कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है

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