इंदिरा गांधी के गुरु "फ्लाइंग स्वामी" 

बिहार में जन्में मगर  विश्व भर में प्रख्यात

धीरेंद्र ब्रह्मचारी का जन्म 12 फरवरी 1924 को बिहार के मधुबनी के बसैठ चानपुरा गांव में हुआ था, वह एक योग शिक्षक थे, जिन्होंने पश्चिम देशों में कुंडलिनी योग सिखाया और 3HO की स्थापना की।

हठ योग ने उन्हें  वैश्विक ख्याति दिलाई

1960 के दशक में उन्हें सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने के लिए हठ योग विशेषज्ञ के रूप में यूएसएसआर की यात्रा करने के लिए आमंत्रित किया गया था।

नेहरू थे उनसे प्रभावित और इंदिरा गांधी से करवाई मुलाक़ात 

जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें अपनी बेटी इंदिरा गांधी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए उन्हें योग सिखाने के लिए आमंत्रित किया।

इंदिरा के काफी नज़दीक थे धीरेंद्र

ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने श्रीमती गांधी के दृष्टिकोण और विचारों का मार्गदर्शन किया था। 

साधु होते हुए भी लेते थे इंदिरा के निर्णय

कहा जाता है कि वह साधु होते हुए भी हुए भी इंदिरा गांधी को निर्णय लेने और नियुक्तियाँ में मदद करते थे। 

राजनीति में था अच्छा ख़ासा दखल 

1975-77 में वह राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हो गए जब श्रीमती गांधी ने संसद भंग कर दी, आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी और नागरिक स्वतंत्रताएं निलंबित कर दीं।

विमान की तस्करी में फंसा था यह योगी

ब्रह्मचारी पर श्रीमती गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में एक विमान खरीदने और सीमा शुल्क का भुगतान किए बिना देश में तस्करी करने का आरोप लगाया गया था, लेकिन उन पर कभी मुकदमा नहीं चलाया गया।

बन्दूकों से भी अच्छा खासा लगाव था

हैरत है कि उन पर अपने कारखाने के लिए स्पेन से बंदूक के हिस्सों को अवैध रूप से आयात करने का आरोप लगाया गया था।

"योगाभ्यास" से जुड़े भारतवर्ष से 

1970 के दशक के अंत में, धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने "योगाभ्यास" नामक एक साप्ताहिक कार्यक्रम में योग के लाभों को बढ़ावा दिया, जो दूरदर्शन पर प्रसारित होता था।

भव्य जीवन शैली

मंतलाई में उनका आश्रम निजी हवाई पट्टियों, हैंगर, एक चिड़ियाघर और गांधी नगर, जम्मू में सात मंजिला इमारत के साथ 1008 कनाल भूमि पर फैला हुआ है।

दिल्ली में भी था आश्रम 

वह दिल्ली के केंद्र में विश्वायतन योगाश्रम के मालिक थे, जिसे अब मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के नाम से जाना जाता है।

इंदिरा गांधी का प्रभाव और योगी का दबदबा 

उनके पास जम्मू, कटरा और मानतलाई में परिसर भी थे, जमीन के ये भूखंड उन्हें इंदिरा गांधी के प्रभाव से मिले थे।

जब गुजराल का मंत्रालय छोड़ना पड़ा

जब तत्कालीन कार्य एवं आवास राज्य मंत्री आई के गुजराल ने धीरेंद्र ब्रह्मचारी को आश्रम के लिए अतिरिक्त भूमि देने की अनुमति नहीं दी तो गुजराल का मंत्रालय बदल दिया गया। 

"फ्लाइंग स्वामी" क्यों कहलाए 

साधु होने के बावजूद भी उनके पास कई विमान थे जिसके लिए वजह से वह "फ्लाइंग स्वामी" के नाम से जाने जाते हैं। 

लेखक भी थे 

उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में योग पर किताबें लिखीं जिनमें 'योगिक सूक्ष्म व्यायाम' और 'योगासन विज्ञान' शामिल हैं।

रहस्म्य मृत्यु 

धीरेंद्र ब्रह्मचारी की उनके पायलट के साथ एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई, जब वे 9 जून, 1994 को मानतलाई में अपने धार्मिक स्थल और योग विद्यालय में उतरते समय एक देवदार के पेड़ से टकरा गए। मीडिया ने इस दुर्घटना को रहस्यम्य बताया था