ISRO astronaut Shubhanshu Shukla part of the Axiom-4 (Ax-4)

Axiom-4 के तहत 41 साल बाद शुभांशु शुक्ला बन गए हैं दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री इनसे पहले विंग कमांडर राकेश शर्मा ने 2 अप्रेल 1984 को अंतरिक्ष की यात्रा की थी।

भारत ने 25 जून 2025 को अंतरिक्ष में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की। इस दिन भारतीय वायुसेना के ग्रुप कप्तान शुभांशु शुक्ला को शामिल एक चार सदस्यीय दल कोर सफेद रंग के स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन यान में भेजकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना किया गया। शुभांशु शुक्ला इस मिशन के पायलट हैं और वे 1984 में सोवियत अंतरिक्ष अभियान से पृथ्वी पर लौटे राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने। साथ ही, वे ISS पर दौरा करने वाले पहले भारतीय हैं। उन्हें दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री के रूप में मान्यता दी गई है क्योंकि राकेश शर्मा ने भारतीय प्रतिनिधि के रूप में सोवियत मिशन में भाग लिया था।

मिशन के प्रक्षेपण की तैयारी पहले कई बार स्थगित हुई थी, लेकिन अंततः 25 जून को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स की फाल्कन-9 रॉकेट से इसकी शुरुआत हुई। लॉन्च के लगभग 28 घंटे बाद, यान ने 26 जून की शाम लगभग 4:30 बजे (भारतीय समयानुसार) ISS से डॉक करेगा। शुक्ला और उनकी टीम अगली दो सप्ताह तक अंतरिक्ष स्टेशन पर रहेगी।

Axiom-4 क्या है?

Axiom मिशन-4 (Ax-4) एक निजी मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है जिसे अमेरिकी निजी कंपनी Axiom Space ने नासा और स्पेसएक्स के सहयोग से अंजाम दिया। इस मिशन के माध्यम से स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन (Grace) यान को फाल्कन-9 रॉकेट से पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा गया। ये मूलतः 11 जून 2025 को प्रक्षेपित होना था, लेकिन रॉकेट में तरल ऑक्सीजन रिसाव और बाद में ISS के रूसी मॉड्यूल के रिसाव की वजह से इसकी तारीख को बदलकर 25 जून कर दिया गया।

मिशन का उद्देश्य 14–21 दिनों की अवधि के लिए अंतरिक्ष स्टेशन पर वैज्ञानिक और शैक्षिक प्रयोग करना है। इस मिशन में पाँच संयुक्त वैज्ञानिक अनुसंधान परियोजनाएँ और दो STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) प्रदर्शन शामिल हैं, जो अंतरिक्ष में होने वाले शैक्षिक प्रदर्शन का हिस्सा हैं। Axiom-4 मिशन ने भारत, पोलैंड और हंगरी को अंतरिक्ष के क्षेत्र में लौटने का अवसर दिया है – यह उन देशों की 40 वर्ष में पहली सरकारी मानव-युक्त उड़ान है (पिछला मौका 1980 के दशक में सोवियत ‘इंटर्कॉसमॉस’ कार्यक्रम के दौरान था)।

शुभांशु शुक्ला: भारतीय अंतरिक्ष यात्री

ISRO astronaut Shubhanshu Shukla
ISRO astronaut Shubhanshu Shukla part of the Axiom-4 (Ax-4)

ग्रुप कप्तान शुभांशु शुक्ला (उम्र 39) भारतीय वायुसेना के अनुभवी परीक्षण पायलट हैं और वे भारतीय मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम के पहले पायदान के अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं। उन्हें फरवरी 2023 में पहले व्योमयात्री समूह के साथ चयनित किया गया था। Axiom-4 के लिए चयनित होने से पहले भी वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ जुड़े हुए थे। इस मिशन में अपनी भूमिका के कारण वे न सिर्फ दूसरे भारतीय बने, बल्कि ISRO के अंतरिक्ष यात्रियों में से पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने अंतरिक्ष में उड़ान भरी। शुभांशु ने मिशन से पहले एक भावुक संदेश दिया, जिसमें उन्होंने राकेश शर्मा को अपना आदर्श बताया और कहा कि बचपन से अंतरिक्ष जाना उनका सपना रहा है।

मिशन दल और गतिविधियाँ

मिशन में कुल चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं, जिनमें पेगी व्हिटसन (अमेरिका) कमांडर के रूप में, शुभांशु शुक्ला (भारत) पायलट, और स्लावोश उज्नांस्की-विस्निव्सकी (पोलैंड) तथा टिबोर कपु (हंगरी) मिशन विशेषज्ञ के रूप में हैं। पेगी व्हिटसन पहले वाली मिशन के अनुभवी नासा अंतरिक्ष यात्री हैं, जबकि स्लावोश और टिबोर उनके देश के लिए अंतरिक्ष में लौटने वाले पहले व्यक्ति बन गए हैं। यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुँचने वाला पहला सरकारी मानव अभियान है।

मिशन के दौरान दल के सदस्य अंतरिक्ष स्टेशन पर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग और व्यावसायिक गतिविधियाँ संचालित करेंगे। विशेष रूप से शुभांशु शुक्ला ISRO और भारतीय संस्थानों द्वारा विकसित प्रयोगों पर कार्य करेंगे, जिनमें माइक्रोग्रैविटी में कोग्निटिव प्रभाव, सूक्ष्मजीवों का अनुकूलन, मांसपेशी क्षय, और फसल उत्पादन जैसे अध्ययन शामिल हैं। इसके अलावा ये मिशन छात्रों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत करेगा, ताकि युवाओं में विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति रुचि बढ़े।

भारत में उत्साह और महत्व

इस मिशन ने पूरे देश में गर्व और उत्साह की लहर दौड़ा दी है। मीडिया में शुभांशु शुक्ला को राष्ट्रीय नायक के रूप में पेश किया गया है, और सोशल मीडिया पर उनकी उपलब्धियों की सराहना की जा रही है। Axiom-4 की सफलता के साथ ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। इससे देश के युवा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों में प्रेरणा का संचार हुआ है।

इस मिशन के राजनीतिक और आर्थिक आयाम भी महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका और यूरोप के सहयोग से Axiom-4 मिशन भारत की अंतरिक्ष नीति में नई गति देगा। साथ ही, निजी क्षेत्र जैसे Axiom Space के शामिल होने से भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश और व्यावसायिक अवसर बढ़ने की संभावना है। कुल मिलाकर, शुभांशु शुक्ला का ये मिशन भारत के लिए वैज्ञानिक प्रगति और राष्ट्रीय आत्मविश्वास का प्रतीक बन गया है

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