Kumar Sanu Song Jab Kisiki Taraf Dil Jhukne Lage : कुमार सानू ने हिन्दी फ़िल्म जगत के लिए हज़ारों एक से बढ़कर एक फ़िल्मी गीत गाए हैं। 90 के दशक के हिंदी फ़िल्म संगीत को कुमार सानू के नाम और आवाज़ के बिना मुकम्मल समझ ही नहीं जा सकता । शायद उनकी मख़मली आवाज़ के बिना कई फिल्मों को देखना भी अधूरा लगे।
सानू ना सिर्फ़ मधुर आवाज़ के मालिक थे, अक्सर कहा जाता है कि जब कुमार सानू स्टूडियो में आते तो 20 मिनट या ज़्यादा से ज़्यादा आधे घंटे में किसी भी गीत को निपटा देते थे। अगर गाना लंबा है या थोड़ा मुश्किल हो तो वह 1 घंटे में रिकॉर्डिंग करके चले जाते थे। ऐसे में एक गीत ऐसा भी है जिसे गाने के लिए कुमार सानू को घंटों लग गए। भला कौन सा है वह गीत और उस गीत से जुड़ा पूरा क़िस्सा पढ़कर आपको अनन्द आएगा।
कुमार सानू की गीत रिकॉर्ड करने की आश्चर्यजनक रफ़्तार और वर्ल्ड रिकॉर्ड
कुमार सानू ने इस बात का जिक्र खुद बहुत बार किया है कि उनकी रिकॉर्डिंग की स्पीड अन्य गायको के मुकाबले में काफी अच्छी थी।सानू बहुत जल्दी किसी भी गाने को अच्छी तरीके से समझ लेते थे, उसके संगीत को, उसके बोलो को और भाव को। कुमार सानू का यह अनूठा गुण बहुत से संगीत निर्देशकों को चकित भी कर देता था। यही कारण है कि कुमार सानू के नाम एक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी है। कुमार शानू एक ही दिन में 28 गाने रिकॉर्ड करने का विश्व रिकॉर्ड धारक हैं। यह शानदार और अनोखा रिकॉर्ड उन्होंने 1993 में बनाया था।
एक गीत में कुमार सानु अटक गए भटक गए
इन सब कीर्तिमानों और कुमार सानू के ग़ज़ब के टैलेंट के बावजूद एक ऐसा भी गीत था जिसकी रिकॉर्डिंग में वह अटक गए थे। इस गीत को गाने में सानू को घंटों लग गए। कुमार सानू उसे दिन उसे गीत को रिकॉर्ड करने के लिएइतनी बुरी तरीके से अटक गए कि उनको अपना एक इवेंट भी कैंसिल करना पड़ा। यह गीत कुमार सानू ने किसी और के लिए नहीं बल्कि जतिन ललित के लिए रिकॉर्ड किया था जिनके साथ उन्होंने ना जाने कितने ख़ूबसूरत गीत रिकॉर्ड किए हैं।
कुमार सानू और कंपोज़र जोड़ी जतिन ललित का लंबा साथ
कुमार सानू और कंपोजर जोड़ी जतिन ललित के लोकप्रिय गीतों की अगर हम सूची बनाएं तो हैरत होती है कि 90 के दशक में इन्होंने क्या मिलकर क्या ख़ूब जादूगरी कड़ी थी। ‘तुझे देखा तो ये जाना सनम’, ‘लड़की बड़ी अनजानी है’, ‘ए काश के हम होश में आने ना पाए’ और ना जाने कितने यादगार गीत इन तीनों के नाम हैं।
कुमार सानु ने लगभग 130 से 140 गाने जातीं ललित के लिए ही गाए हैं। इस तरह से इतनी निकटता से अगर आप काम करते हैं तो अक्सर एक ज़बर्दस्त अंडरस्टैंडिंग बन जाती है। संगीतकार और गायक एक दूसरे की बातों को अच्छी त्तरह से समझने लग जाते हैं, खासकर के गायक को यह समझ में आने लग जाता है की म्यूजिक डायरेक्टर किस गीत से क्या चाहता है।
कुमार सानू और जतिन ललित ने कई बार रचा इतिहास
जतिन ललित ने बहुत बार कहा है हैं कि हम हमेशा कुमार सानू की आवाज को एक वह अलग तरह से इस्तेमाल करते थे और कुमार सानु भी इन्हें इतना समझते थे की इनकी उम्मीद के मुताबिक ही गाना गाया झट से और फट से चले भी जाते थे। लेकिन एक गीत ऐसा आया जिसे गाने के लिए स्टूडियो में कुमार सानु आये तो बहुत जल्दी में थे, लेकिन गाना रिकॉर्ड होने में घंटों लग गए। यह गीत था 1998 की फ़िल्म ‘प्यार तो होना ही था’।
अनीस बज़मी के द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में अजय देवगन और काजोल के मुख्य रोल में थे और जतिन ललित का म्यूसिक था। अजय देवगन म्यूजिक कम्पोज़ करवाने के लिए जतिन ललित को अपने फार्म हाउस पर ले गए थे। जतिन ललित दोनों बहुत खुश थे। उनके हिसाब से गीत बहुत अच्छा और हट कर बना था। अब कुमार सानू जब रिकॉर्डिंग के लिए पहुंचे तो बहुत तैयार होकर आए थे। आते ही बोले जल्दी रिकॉर्डिंग कर लेते है। मुझे एक ईवेंट पर जाना है और बहुत जरूरी है वहाँ पहुंचना।
कुमार सानू उस दिन जल्दी में थे लेकिन…
कुमार सानू तो जल्दी में थे लेकिन जाते ललित अच्छी तरह से जानते थे इस गाने की रिकॉर्डिंग के लिए वक्त लग सकता है। इस गीत की बनावट ही कुछ ऐसी थी। और हुआ भी कुछ ऐसा ही। आप भी अगर इस गीत को सुनेंगे तो आपको लगेगा कि यह गाना तो जल्दी रिकॉर्ड हो सकता है, आसान सा है लेकिन दरअसल इसमें जो उतार-चढ़ाव और पेंच हैं इसे जातीं ललित समझते थे। कुमार सानू को भी ऐसा ही लगा होने लगा कि यह गाना तो जल्दी रिकॉर्ड हो जाएगा।
दो घंटे में भी मुखड़ा मुश्किल से रिकॉर्ड हुआ
अब जब रिकॉर्डिंग शुरू हुई तो आसान से लगने वाली बात कहीं और ही पहुँच गई। दो घंटे तो सिर्फ मुखड़े को फाइनल करने में लग गए। जब मुखड़ा ऐसा फंसा तो कुमार सानू ने अपनी शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल लिए, यानी जनाब ने फॉर्मल से थोड़ा कैज़ुअल होने की कोशिश की। सानू को अबताक अच्छे से मालूम हो गया की वो उस इवेंट में अब जा नहीं पायेंगे जो उस दिन होना तय था।
कुमार सानू को लेनी पड़ी ब्रेक
मुखड़ा रिकॉर्ड होने के बाद कुमार सानू ने कहा की मुझे ब्रेक चाहिए। उन्होंने चाय मंगाई। साथ ही कुछ फ़ोन कॉल्स किए जहाँ जहाँ अपॉइंटमेंट् थीम वह भी कैंसिल की और शायद अपने अगले दिन की रिहर्सल भी। सानू जान चूके थे की ये गाना साधारण नहीं है और कितना वक्त लेने वाला है।
सच्चे कलाकार चुनौतियों सेपरेशान नहीं होते और ठीक है सही कुमार सानू के साथ हुआ। अब उनकी इस गाने में रुचि और भी ज्यादा बढ़ गई। यहाँ से उनकी एक ख़ास तरह की इन्वॉल्वमेंट भी शुरू हुई। एक क्रिएटिव कलाकार जब अपने सृजन सृजन में खो जाता है तो नतीजा हारतंगेज होते हैं।
कैसे इस गाने के साथ कुमार सानू (Kumar Sanu Song) की इमोशनल इंवॉल्वमेंट बन गई
गाने में कुमार सानू की एक अलग तरीके की इमोशनल इंवॉल्वमेंट (भावनात्मक जुड़ाव) बन गई थी जिसके रहते इस गीत में कुमार ने बहुत ही खूबसूरत भाव प्रगट किए। खैर, गाना रिकॉर्ड होने में बहुत वक्त लगा। घंटों बीत गए लेकिन कुमार सानू ने हार नहीं मानी।
कुमार की और लगन से संगीत निर्देशक बहुत प्रभावित हुए और उन्हें लगा कि उनकी अपेक्षाओं से अधिक कुमार सानू ने इसमें योगदान दिया। जतिन पंडित को ऐसा लगा कि सानू का चेहरा एकदम सुर्ख़ लाल हो गया और यह मेहनत की लाली थी जनाब। कुमार सानू के चेहरे पर एक अलग ही तरीके का संतुष्टि दिख रही थी।
अब आपको बता दें कि यह गाना (Kumar Sanu Song) बहुत अधिक लोकप्रिय हुआ और इसके बोल कुछ इस तरह से थे:
“जब किसी की तरफ दिल झुकने लगे,
From movie: Pyar to hona hi tha
बात आ कर जुबां तक रुकने लगे,
आँखों आँखों में इक़रार होने लगे,
बोल दो ग़र तुम्हें प्यार होने लगे,
होने लगे, होने लगे।।”
यह गाना कुमार सानू के चुनिंदा गीतों में तो शामिल है ही, जतिन ललित के करियर के बेहतरीन गीतों में से बेजोड़ है। जिस तरह इसे इसका सृजन हुआ, इसे डिज़ाइन किया गया है, किसी कमाल से कम नहीं। जतिन ललित और कुमार सानू की तो हमने काफी चर्चा कर ली लेकिन इस फिल्म के टाइटल सॉंग को लिखा था विनोद महेंद्र ने। ग़ौर करने वाली बात यह है कि इस फिल्म के बाकी गीत समीर ने लिखे थे, लेकिन सिर्फ़ यही गीत विनोद महेंद्र जी की जादू भारी कलम से निकला था।
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