क्यूँ विचित्र था महारानी एलिज़ाबेथ और मोदी का हाथ मिलाना ?

मोदी संग उनके हैंड शेक में थी क्या विचित्र बात 

अपने जीवनकाल के दौरान, वह पांच भारतीय प्रधानमंत्रियों से मिलीं - जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, आईके गुजराल से मिलीं मनमोहन सिंह नरेंद्र मोदी। मोदी के संग हाथ मिलाने और मुलाक़ात में एक बहुत ख़ास बात थी। 

जवाहर लाल नेहरू (1961)

यू पंडित जवाहरलाल नेहरू महारानी एलिजाबेथ से कई मर्तबा मिले, और 1961 में महारानी भारत के दौरे पर भी आयी। हर बार एक औपचारिकता का माहौल देखा गया। यह भी महसूस किया गया कि महारानी अपने परटोकोल के तहत हमेशा दस्ताने पहने ही नज़र आयीं।

इंदिरा गांधी (1981)

1981 में महारानी एलिजाबेथ एक बार फिर भारत आयीं। इस बार भी फॉर्मैलिटी ही ज़्यादा देखी गई। एलिजाबेथ हमेशा की जैसे अपने शाही दस्ताने पहनकर ही प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी से मिलीं। 

इंदर कुमार गुजराल (1997)

1997 में एक बार फिर महारानी का भारत दौरा लगा। भारतीय राष्ट्रपति केआर नारायणन (दाएं) इंदर कुमार गुजराल, उनकी पत्नी शीला गुजराल रानी से मिले। इस बार भी रानी ने औपचारिकता के साथ दस्तानों के साथ ही शाके हैंड किया। 

2009 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और क्वीन एलिजाबेथ के बीच में दो बार मुलाकात हुई। एक बार अप्रैल 2009 में और दूसरी बार नवंबर 2009 में। दोनों ही बार हैंड शेक के दौरान क्वीन प्रोटोकोल के तहत अपने ग्लव्ज़ पहने रखे। 

मनमोहन सिंह (2009)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी महारानी से दो बार मुलाकात हुई। दोनों ही बार एक अद्भुत गर्म जोशी का एहसास हुआ। क्वीन मोदी के साथ ज़्यादा सहज और कम्फर्टेबल नज़र आईं। उन्होंने मोदी के साथ मुलाकात में अपने औपचारिकता से भरे दस्ताने भी नहीं पहने थे।

नरेंद्र मोदी   (2015 और 2018)

अमेरिका के एक से बढ़कर एक दिग्गज राष्ट्रपति महारानी से मिले जैसे राष्ट्रपति-कैनेडी, आइजनहावर, निक्सन, ट्रूमैन, रोनाल्ड रीगन और ओबामा इत्यादि। लेकिन हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ क्वीन का जो रवैया दुनिया ने देखा शायद किसी और नेता के साथ कभी नहीं देखा।

बड़े से बड़े नेता एक तरफ़ मोदी दूसरी तरफ़

क्या संकेत है कि भारत गुलामी की बेड़ियों को सचमुच  तोड़ चुका है? 

मोदी में जरूर कोई बात तो है कि महारानी ने अपने दस्ताने उनसे मुलाकातों के दौरान नहीं पहने।

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