कई लोगों का कहना है कि इंस्टाग्राम ट्विटर वॉट्सऐप इन सब के आने से फेसबुक की लोकप्रियता में कमी आई है (Facebook losing popularity)। बात ठीक है लेकिन पूर्ण रूप से बिल्कुल भी नहीं। जी हाँ, अभी भी दम है इसमें। फ़ेस्बुक अभी जीवित है, इस पर मृतलेख ना लिखें तो अच्छा होगा। आज भी फेसबुक के नाम से नाममात्र से हम अपने फ़ोन को टटोलने लग जाते हैं। माना की शहरों में रहने वाले एलीट लोग फेसबुक से दूर हो रहे हैं लेकिन छोटे शहर, कस्बे गांव यहाँ पर अभी भी फेसबुक का बोलबाला है। ख़ासकर के बूढ़े वर्ग के लोगों ने फेसबुक को देर से अडॉप्ट किया मगर अब वो भी उसके दीवाने है।
परिवारों और मित्रों को साथ रखने का करा काम
कोई माने या ना माने फेसबुक एक ऐसी टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म है जिसने लोगों को जोड़ने का बहुत अच्छा प्रयास किया। तेजी से बदलते हुए जमाने में हम अपने सगे संबंधी, अपने जानने वालों के लिए बिल्कुल भी वक्त नहीं निकाल पा रहे थे। हम एक अनोखी और अजीब सी दिशा में बढ़ते जा रहे थे। अकेलापन और उसकी परछाइयाँ हमें घेर रही थी और हम अपनी दुनिया से दूर जाने कहाँ बढ़ते जा रहे थे।
शायद Orkut था फ़ेस्बुक का पूर्वज
तभी Orkut नाम का एक प्लैटफॉर्म आया। लेकिन Google का Orkut ज्यादा दिन तक नहीं जीत पाया क्योंकि वह संभवतः समय से पहले का प्रयोग था। उस समय तक लोगों के पास इंटरनेट कनेक्शन थे ही नहीं ख़ासकर के भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाल देश में। लेकिन फेसबुक वालों ने Orkut की कामयों से कुछ सीखा, कुछ अपना दिमाग़ लगाया और इसे और सहज और सिंप्लिफाइ करा।
फ़ेस्बुक में धीरे धीरे करे गए बदलाव – Reason Why Facebook losing Popularity
धीरे धीरे बदलाव लाए गए और आज फ़ेस्बुक को हम एक अच्छे सामाजिक टेक्नॉलजी प्रयोग के रूप में जानते हैं। आज हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं जो भूले भटके बिछड़े हुए दोस्तों से फेसबुक के सहारे ही मिल पाए। हम में से कुछ ऐसे भी हैं जो फेसबुक के बगैर जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।
हर प्रयोग की तरह फेसबुक में भी कमियाँ थीं
हर प्रयोग की तरह फेसबुक में भी कमियाँ थीं, बुराइयां थी लेकिन पुराने मित्र सगे संबंधी रिश्तेदारों इन सबको एकजुट रखने में फेसबुक का काफी बड़ा योगदान रहा है। फेसबुक और अन्य सोशल प्लैटफॉर्म्स पर अक्सर डेटा वाइलेशन का भी आरोप लगा है लेकिन आम आदमी के लिए डेटा वाइलेशन जैसी कोई चीज़ मायने नहीं रखती। शायद इसीलिए फेसबुक आज भी जीवित है की लोगों को मुख्य रोप से भारतीयों को अपने बारे में जानकारी या डेटा के बारे में इतनी जागरूकता नहीं है।
मुझे तो लत लग गयी लग गयी, लत ये गलत लग गयी
हर लत की तरह फेसबुक की लत भी कई बार काफी हानिकारक स्थापित हुई। कई लोगों ने अपने आम जिंदगी में फेसबुक को इतनी महत्ता देनी शुरू कर दी कि इस पर छपे किसी भी पोस्ट को वो असली खबर मानने लगे। इस प्लेटफार्म पे भोले भाले आम लोगों को बहकाया भी गया और बहुत सी भ्रामक अफवाहें भी फैलाई गई जिन्हें उन्होंने सच मान लिया। फेसबुक से लोगों का टाइम भी बहुत खोटी होता है लेकिन क्या करे मुझे तो लत लग गयी लग गयी, लत ये गलत लग गयी।
नियंत्रण ही मूल मंत्र है
किसी भी लत या आदत की अति हो जाए तो बुरी होती ही है उसे नियंत्रण में, कंट्रोल में रखना ही अच्छा रहता है। फेसबुक हो या कोई और सोशल नेटवर्क अगर हम उसे नियंत्रण में रखें और अपने ऊपर हावी न होने दें तो कुछ भी नहीं बिगड़ेगा। लेकिन एक बात तो पक्की है फे़सबुक अभी कहीं नहीं जा रहा है वो उतना ही लोकप्रिय है जितना आज से 10 साल पहले था शायद उससे कहीं ज्यादा।
क्या फ़ेस्बुक का अंत होने वाला है (Facebook losing popularity) ?
जो लोग टेक्नोलॉजी से जुड़े हैं उनका मानना है कि फेसबुक खत्म होने की कगार पर है (Facebook losing popularity and declining)। कई नए प्लेटफार्म जैसे इंस्टाग्राम,ट्विटर, पिंटरेस्ट वगैरह की आने की वजह से शायद फेसबुक में वो चमक नहीं रही। बहुत से लोगों ने तो इस पर श्रद्धांजलि के रूप में मृत्युलेख भी लिख दिया है। लेकिन इसके विपरीत सच्चाई यह है कि फेसबुक आज भी लोग खुलकर इस्तेमाल करते हैं और इसकी पेनिट्रेशन भी बढ़ती जा रही है खासकर भारतवर्ष में। फ़ेस्बुक से लोगों की प्रगाड भावनाएँ जुड़ीं हैं। फ़ेस्बुक अभी जीवित है, इस पर मृत्युलेख ना लिखें।
Why Always Upset: क्यूँ हमेशा कुछ लोग मूह फुलाए रहते हैं ?
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